उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक (फाइल फोटो)
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक पर सीधा हमला बोलते हुए आज आरोप लगाया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता की तरह बयान दे रहे हैं और बेहतर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लें ताकि वह साम्प्रदायिक एजेंडा पूरा कर सकें।
RSS कार्यकर्ता जैसा बयान देते हैं नाईक
एसपी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने कहा, '(राज्यपाल) कई बार साम्प्रदायिक संगठनों के कार्यक्रम में जाते है। वह आरएसएस के कार्यकर्ता जैसा बयान देते हैं, जो उचित नहीं है।' उन्होंने कहा, 'नाईक के ये क्रियाकलाप राज्यपाल पद की गरिमा के विपरीत है। उन्हें बयान देने का बहुत ज्यादा शौक है। समाजवादी पार्टी केन्द्र सरकार से मांग करती है कि उनको केन्द्र का कोई मंत्री बना दे ताकि फिर वह पूरे देश में बोलते रहें और जो साम्प्रदायिक एजेंडा है, उसे पूरा करें।'
'संविधान की भावना के विपरीत जाकर बयान'
यादव ने राज्यपाल नाईक द्वारा कल उरई में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर दिए गए बयान पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल ने संविधान की भावना के विपरीत जाकर बयान दिया है। हिन्दुस्तान में उत्तर प्रदेश को छोड जितने भी राज्य हैं, उनके किसी भी राज्यपाल का आप इस तरह का बयान नहीं सुनते होंगे। छत्तीसगढ, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में बहुत सी घटनाएं होती हैं, लेकिन कभी वहां के राज्यपालों का बयान कानून व्यवस्था को लेकर नहीं आता। उनका आचरण पद की गरिमा के विपरीत नहीं रहता।
मजबूरी में बयान
राम गोपाल यादव ने कहा कि नाईक इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं, मानो वह राज्यपाल ना होकर इस देश के गृहमंत्री हों। उरई में कानून व्यवस्था को लेकर बयान देते हैं, लेकिन दादरी की घटना पर वह पूरी तरह चुप रहे। दुनिया जानती है कि दादरी घटना के लिए कौन जिम्मेदार था। उसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल प्रदेश के संवैधानिक मुखिया होते हैं, लेकिन नाईक सार्वजनिक रूप से और मीडिया के समक्ष तथा कार्यक्रमों में जाकर कई बार बयान दे देते हैं। उन्होंने कहा, 'संविधान का जानकार होने के बावजूद मुझे विवश होकर राज्यपाल के खिलाफ बयान देना पड रहा है, क्योंकि एक सीमा होती है।'
यह पूछने पर कि राज्यपाल कहीं केंद्र के इशारे पर तो कार्य नहीं कर रहे या केंद्र के कहने पर यहां की कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट तो नहीं भेज रहे, यादव ने कहा कि रिपोर्ट भेजने के लिए राज्यपाल स्वतंत्र हैं। हम नहीं समझते कि केंद्र का कोई इशारा होगा। केंद्र का इशारा होता तो दूसरे राज्यों में, जहां बीजेपी की सरकार नहीं है, बल्कि दूसरी पार्टियों की सरकार है, वहां भी राज्यपाल है लेकिन वे इस तरह की बात नहीं करते।
लोगों के मन में नफरत की गई
कानपुर में पोस्टर फाडे़ जाने के बाद भड़की हिंसा के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि ये त्वरित प्रतिक्रिया का परिणाम है। जब सब कुछ शांत चल रहा हो और केवल एक पोस्टर फाड दिया जाए तथा उसके बाद यह घटना हिंसा का रूप ले ले तो स्पष्ट है कि अंदर ही अंदर कहीं न कहीं लोगों के मन में नफरत जैसी चीज पैदा कर दी गई।
RSS कार्यकर्ता जैसा बयान देते हैं नाईक
एसपी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने कहा, '(राज्यपाल) कई बार साम्प्रदायिक संगठनों के कार्यक्रम में जाते है। वह आरएसएस के कार्यकर्ता जैसा बयान देते हैं, जो उचित नहीं है।' उन्होंने कहा, 'नाईक के ये क्रियाकलाप राज्यपाल पद की गरिमा के विपरीत है। उन्हें बयान देने का बहुत ज्यादा शौक है। समाजवादी पार्टी केन्द्र सरकार से मांग करती है कि उनको केन्द्र का कोई मंत्री बना दे ताकि फिर वह पूरे देश में बोलते रहें और जो साम्प्रदायिक एजेंडा है, उसे पूरा करें।'
'संविधान की भावना के विपरीत जाकर बयान'
यादव ने राज्यपाल नाईक द्वारा कल उरई में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर दिए गए बयान पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल ने संविधान की भावना के विपरीत जाकर बयान दिया है। हिन्दुस्तान में उत्तर प्रदेश को छोड जितने भी राज्य हैं, उनके किसी भी राज्यपाल का आप इस तरह का बयान नहीं सुनते होंगे। छत्तीसगढ, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में बहुत सी घटनाएं होती हैं, लेकिन कभी वहां के राज्यपालों का बयान कानून व्यवस्था को लेकर नहीं आता। उनका आचरण पद की गरिमा के विपरीत नहीं रहता।
मजबूरी में बयान
राम गोपाल यादव ने कहा कि नाईक इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं, मानो वह राज्यपाल ना होकर इस देश के गृहमंत्री हों। उरई में कानून व्यवस्था को लेकर बयान देते हैं, लेकिन दादरी की घटना पर वह पूरी तरह चुप रहे। दुनिया जानती है कि दादरी घटना के लिए कौन जिम्मेदार था। उसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल प्रदेश के संवैधानिक मुखिया होते हैं, लेकिन नाईक सार्वजनिक रूप से और मीडिया के समक्ष तथा कार्यक्रमों में जाकर कई बार बयान दे देते हैं। उन्होंने कहा, 'संविधान का जानकार होने के बावजूद मुझे विवश होकर राज्यपाल के खिलाफ बयान देना पड रहा है, क्योंकि एक सीमा होती है।'
यह पूछने पर कि राज्यपाल कहीं केंद्र के इशारे पर तो कार्य नहीं कर रहे या केंद्र के कहने पर यहां की कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट तो नहीं भेज रहे, यादव ने कहा कि रिपोर्ट भेजने के लिए राज्यपाल स्वतंत्र हैं। हम नहीं समझते कि केंद्र का कोई इशारा होगा। केंद्र का इशारा होता तो दूसरे राज्यों में, जहां बीजेपी की सरकार नहीं है, बल्कि दूसरी पार्टियों की सरकार है, वहां भी राज्यपाल है लेकिन वे इस तरह की बात नहीं करते।
लोगों के मन में नफरत की गई
कानपुर में पोस्टर फाडे़ जाने के बाद भड़की हिंसा के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि ये त्वरित प्रतिक्रिया का परिणाम है। जब सब कुछ शांत चल रहा हो और केवल एक पोस्टर फाड दिया जाए तथा उसके बाद यह घटना हिंसा का रूप ले ले तो स्पष्ट है कि अंदर ही अंदर कहीं न कहीं लोगों के मन में नफरत जैसी चीज पैदा कर दी गई।
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