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This Article is From Feb 08, 2018

सोपियां मुठभेड़ केस : सेना के खिलाफ एफआईआर का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

अब सेना के मेजर के पिता ने एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.

सोपियां मुठभेड़ केस : सेना के खिलाफ एफआईआर का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: सोपियां में मुठभेड़ के बाद राज्य सरकार की ओर से इजाजत मिलने के बाद पुलिस ने सेना के मेजर और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर में सेना के अधिकारियों पर हत्या से जुड़े आरोप लगाए गए थे. अब सेना के मेजर के पिता ने एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.

याचिका में जम्मू कश्मीर के सोपियां में 27 जनवरी को दाखिल FIR को रद्द करने की मांग की गई है. 10 गढ़वाल राइफल के मेजर आदित्य कुमार के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल कर्मवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा कि राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को बचाने के लिए और जान की बाज़ी लगाने वाले भारतीय सेना के जवानों के मनोबल की रक्षा की जाए. 

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से राज्य में राजनीतिक नेतृत्व द्वारा FIR का चित्रण किया गया और राज्य के उच्च प्रशासन प्रोजेक्ट किया गया इससे लगता है कि राज्य में विपरीत स्थिति है. ये उनके बेटे उनके लिए समानता के अधिकार और जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है. 

पुलिस ने इस मामले में बेटे को आरोपी बना कर मनमाने तरीके से काम किया है. ये जानते हुए भी की वो घटना स्थल पर मौजूद नहीं था और सेना के जवान शांतिपूर्वक काम कर रहे थे. जबकि हिंसक भीड़ की वजह से वो सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए कानूनी तौर पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुए.

सेना का ये काफ़िला केंद्र सरकार के निर्देश पर जा रहा था और अपने कर्तव्य का पालन कर रहे थे. ये कदम लिया गया जब भीड़ ने पथराव किया और हिंसक भीड़ ने कुछ जवानों को पीट पीटकर मार डालने की कोशिश की और देश विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई से रोकने की कोशिश की गई. इस तरह का हमला सेना का मनोबल गिराने के लिए किया गया. 

याचिका में मांग की गई है कि आतंकी गतिविधियों और सरकारी सम्पतियों को नुकसान पहुचाने और केंद्रीय कर्मचारियों के जीवन को खतरे में डालने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और पूरे मामले की जांच दूसरे राज्य में किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए.

राज्य सरकार को आर्मी के मामले में इस तरह के फैसले लेने से रोका जाए और ऐसी स्थिति में सैनिकों को बचाने के लिए गाइड लाइन बनाई जाए. ड्यूटी पर तैनात सेना के जवानों को इस तरह की स्थिति में मुआवजे का प्रावधान किया जाए.

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