
- लेह के जिला मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सोनम वांगचुक की हिरासत को वैध बताया है
- सोनम को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत 26 सितंबर को हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया था
- प्रशासन ने सोनम की पत्नी को टेलीफोन के माध्यम से हिरासत की जानकारी तुरंत प्रदान की थी
लेह के जिला मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर उठे सवालों पर जवाब दिया है. दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि सोनम की अवैध हिरासत के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं और उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह वैध तरीके से की गई है. प्रशासन के अनुसार, सोनम वांगचुक को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA), 1980 के तहत हिरासत में लिया गया.
हलफनामे में क्या कुछ बताया गया
यह कार्रवाई राज्य की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और सामुदायिक अनिवार्य सेवाओं के लिए हानिकारक गतिविधियों के आधार पर की गई. जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि NSA के तहत हिरासत में लेने के सभी आधारों से वे संतुष्ट हैं. इस हलफनामे में यह भी बताया गया कि सोनम को 26 सितंबर को हिरासत में लिया गया था और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेजे जाने की जानकारी तुरंत दे दी गई थी. इसके अलावा, लेह के SHO ने टेलीफोन के माध्यम से सोनम की पत्नी को भी इस बारे में सूचित किया था.
अब सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई
ऐसे में हिरासत की जानकारी न देने के आरोप गलत और गुमराह करने वाले हैं. प्रशासन ने यह भी कहा कि हिरासत में लिए जाने के 15 दिन बीत जाने के बावजूद सोनम वांगचुक या उनके वकील की ओर से हिरासत के विरोध में कोई ज्ञापन नहीं दिया गया है. जेल में सोनम का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया, जिसमें उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि वे कोई नियमित दवा नहीं ले रहे हैं. ना तो सोनम और ना ही उनकी पत्नी ने किसी बीमारी या दवा का जिक्र किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी है.
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