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This Article is From Mar 30, 2022

सोशल मीडिया नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता: आईटी मंत्रालय

केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर हलफनामे में भी अपने रुख की पुष्टि की

सोशल मीडिया नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता: आईटी मंत्रालय
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

कोई भी सोशल मीडिया कंपनी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर नहीं कर सकती है और इंटरनेट एक सुरक्षित तथा भरोसेमंद स्थान होना चाहिए, जिसमें सभी मंच अपने उपयोगकर्ताओं के प्रति जवाबदेह हों. सूचना प्रौद्योगगिकी (IT) मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह बात कही. डिजिटल मंचों पर मनमाने तरीके से सामग्रियों को हटाने के आरोप के बीच अधिकारियों ने यह बात कही है.

सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दायर हलफनामे में भी अपने रुख की पुष्टि की है. यह पहली बार है जब आईटी मंत्रालय ने उपयोगकर्ता और सोशल मीडिया मंचों के बीच विवाद में अपना रुख स्पष्ट किया है. अदालत के समक्ष एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता की रिट याचिका के बाद मंत्रालय ने हलफनामा दायर किया.

सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों के एक वर्ग के बीच असंतोष बढ़ रहा है. उनका आरोप है कि डिजिटल मंच मनमाने तरीके से उनकी सामग्रियों को हटाते हैं.

सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय मुक्त, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्रालय के अनुसार, कोई भी मध्यस्थ, चाहे वह बड़ा हो या फिर छोटा, भारतीय हो अथवा विदेशी हो, उसके पास भारतीय नागरिकों के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का अधिकार नहीं है.

सूत्रों ने कहा कि सोशल मीडिया मंच और मध्यस्थों को समय-समय पर लागू होने वाले सभी कानूनों और नियमों का सम्मान करना चाहिए. जहां तक नीतिगत रुख का संबंध है, इंटरनेट सभी उपयोगकर्ताओं के लिये एक सुरक्षित और भरोसेमंद स्थान होना चाहिए तथा सभी मध्यस्थों को उपयोगकर्ताओं के प्रति जवाबदेह होना चाहिए.

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