गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नोटबंदी का सीधा असर नक़ली नोटों की तस्करी पर पड़ा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक़ जब से प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान किया है तब से पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल बॉर्डर से फ़र्ज़ी नोटों की तस्करी बंद हो गई है.
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एनडीटीवी को बताया, 'सबसे ज़्यादा तस्करी पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के ज़रिए ही होती थी लेकिन 8 नवम्बर के बाद से तस्करी की कोई ख़बर नहीं आई है.' गृह राज्य मंत्री के मुताबिक़ औसतन 400 करोड़ रुपये के नक़ली नोट हमेशा भारत की अर्थव्यवस्था में सर्कुलेट होते हैं. लेकिन इसकी तादाद भी नोटबंदी के बाद से कम हो गई है.
केंद्र सरकार का मानना है कि हर साल हमारे दुश्मन देश कम से कम 70 करोड़ रुपये के नकली नोट भारत की अर्थव्यवस्था में सर्कुलेट करते हैं.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आकलन के मुताबिक़ सितम्बर 2016 में बाज़ार में क़रीब 17 लाख करोड़ रुपये थे. इसमें से 80 फीसदी से ज्यादा 500 और 1000 के नोटों की शक्ल में जो नोटबंदी के बाद बेकार हो गए.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 2016 के जून महीने तक जांच एजेंसियों ने 12.35 करोड़ के नक़ली नोट ज़ब्त किए हैं. ये रक़म 2015 में 34.99 करोड़ की थी. 2014 में ये रक़म 36.11 करोड़ थी और 2013 में 42.90 करोड़.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आतंक में पैसा किस तरह इस्तेमाल होता है उस पर भी एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के मुताबिक़ क़रीब 700-800 करोड़ रुपये हर साल आतंकी गतिविधियों में पम्प किया जाता है. गृह मंत्रालय के मुताबिक़ ये पैसा मार्केट में जितना पैसा सर्कुलेशन में है उसका .05 फ़ीसदी है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, 'सबसे ज़्यादा पैसा उत्तर पूर्व के आतंकी इस्तेमाल करते हैं. उनका शेयर 350-400 करोड़ है. उसके बाद नक्सली जो क़रीब 300-350 करोड़ रुपये अपनी गतिवीधियों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करते हैं. आख़िर में जेहादी और खलिस्तनी गुट आते हैं. सालाना वो सिर्फ़ दस करोड़ रुपये इस्तेमाल करते है.'
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने एनडीटीवी को बताया, 'सबसे ज़्यादा तस्करी पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के ज़रिए ही होती थी लेकिन 8 नवम्बर के बाद से तस्करी की कोई ख़बर नहीं आई है.' गृह राज्य मंत्री के मुताबिक़ औसतन 400 करोड़ रुपये के नक़ली नोट हमेशा भारत की अर्थव्यवस्था में सर्कुलेट होते हैं. लेकिन इसकी तादाद भी नोटबंदी के बाद से कम हो गई है.
केंद्र सरकार का मानना है कि हर साल हमारे दुश्मन देश कम से कम 70 करोड़ रुपये के नकली नोट भारत की अर्थव्यवस्था में सर्कुलेट करते हैं.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आकलन के मुताबिक़ सितम्बर 2016 में बाज़ार में क़रीब 17 लाख करोड़ रुपये थे. इसमें से 80 फीसदी से ज्यादा 500 और 1000 के नोटों की शक्ल में जो नोटबंदी के बाद बेकार हो गए.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 2016 के जून महीने तक जांच एजेंसियों ने 12.35 करोड़ के नक़ली नोट ज़ब्त किए हैं. ये रक़म 2015 में 34.99 करोड़ की थी. 2014 में ये रक़म 36.11 करोड़ थी और 2013 में 42.90 करोड़.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आतंक में पैसा किस तरह इस्तेमाल होता है उस पर भी एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के मुताबिक़ क़रीब 700-800 करोड़ रुपये हर साल आतंकी गतिविधियों में पम्प किया जाता है. गृह मंत्रालय के मुताबिक़ ये पैसा मार्केट में जितना पैसा सर्कुलेशन में है उसका .05 फ़ीसदी है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, 'सबसे ज़्यादा पैसा उत्तर पूर्व के आतंकी इस्तेमाल करते हैं. उनका शेयर 350-400 करोड़ है. उसके बाद नक्सली जो क़रीब 300-350 करोड़ रुपये अपनी गतिवीधियों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करते हैं. आख़िर में जेहादी और खलिस्तनी गुट आते हैं. सालाना वो सिर्फ़ दस करोड़ रुपये इस्तेमाल करते है.'
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