कोरोना काल के दौरान सबसे बड़ी मार सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों पर पड़ी है, जो उत्पादन और बिक्री में कमी के कारण कमाई खत्म होने के साथ कर्ज न मिलने के कारण नकदी संकट से जूझ रहे हैं. छोटे उद्योगों की ऐसे ही तस्वीर ग़ाज़ियाबाद के बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में देखने को मिली. उद्योगों को आस है कि बजट 2021 में सरकार कोई प्रोत्साहन पैकेज देगी और उन्हें आसानी से कर्ज मुहैया कराएगी.
यहां इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की प्रोडक्शन असेंबली लाइन पर सेंसर से चलने वाले ऑटोमेटिक गेट, दरवाजे जैसे अत्याधुनिक स्वचालित सिस्टम और उत्पाद बनते हैं. एनडीटीवी इंडिया ने 29 मई को कोरोना संकट के दौरान पहली बार इस फैक्ट्री का दौरा किया था. पिछले कुछ महीनों में यहां प्रोडक्शन भी बढ़ा है और मज़दूरों की संख्या भी. लेकिन फैक्ट्री मालिक संजीव सचदेव कहते हैं बिज़नेस चलने में उन्हें अब भी कई तरह के संकट और चुनौतियां से जूझना पड़ रहा है. तोषी ऑटोमैटिक सिस्टम्स के एमडी संजीव सचदेव ने कहा कि स्टील के दाम आज 25%-30% तक बढ़ गए हैं. अगर कच्चे माल के दाम 30% तक बढ़ जाएं तो इंडस्ट्री कहां जाएगी.
बजट 2021 में वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज के सवाल पर सचदेव ने कहा कि इससे MSME सेक्टर को काफी मदद मिलेगी, जो इस समय कॅश स्रुच से जूझ रही है. बैंक अभी भी उतना ओपन नहीं हैं जितना उन्हें होना चाहिए। बैंक लेंडिंग में देरी कर रहे हैं जिस वजह से लिक्विडिटी की क्राइसिस दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है. छोटे और लघु उद्योग संघ का मानना है कि आज देश में करीब 1.25 से 1.5 करोड़ MSME यूनिट हैं जो कई तरह के वित्तीय संकट से जूझ रही हैं.
छोटे लघु उद्योग संघ के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि हमारा अनुमान है कि आज करीब एक. करोड़ ऐसी छोटी और लघु इकाइयां हैं जो वित्तीय संकट झेल रही हैं. उन्हें अब भी बैंकों और वित्तीय संस्था जरूरत के मुताबिक ऋण नहीं दे रहे हैं. बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में काम कर रहे वर्कर कहते हैं कि उन्हें कई महीनों तक क्रोरोना की मार झेलनी पड़ी है. अब वित्त मंत्री को बजट 2021 में बेरोज़गार होने वाले मज़दूरों को नौकरी और उनके लिए विशेष राहत का ऐलान करना चाहिए. लॉकडाउन से नुकसान उठाने वाले मजदूरों के लिए पहल करनी चाहिए.
छोटे और लघु उद्योगों के सामने आज सबसे बड़ा संकट नकदी का है. बैंक और वित्तीय संस्थाएं उन्हें उतना ऋण उपलब्ध नहीं करा रही हैं जितने की उन्हें जरूरत है. वो चाहते हैं वित्त मंत्री बजट में इस पर ध्यान दें. इससे पूरे सेक्टर में आर्थिक वृद्धि की संभावना को फिर बहाल किया जा सके और संकट दूर हो.
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