लखनऊ:
बिहार के धमाराघाट रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन की चपेट में आकर 28 लोगों की मौत हो गई, लेकिन रेल विभाग इससे और इससे पहले हुई तमाम ऐसी दुर्घटनाओं से सबक नहीं सीख रहा है। यूपी के सीतापुर से मिली तस्वीरें कुछ यही कहानी बयां करती हैं।
देखा गया है कि सीतापुर पैसेंजर ट्रेन में अंदर ही नहीं बाहर भी यानि छत पर ऊपर, डिब्बों के भीतर, डिब्बों के बीच में और यहां तक इंजन के आगे पीछे जहां भी जगह वहां यात्री खड़े और लटककर सफर करते हैं।
ट्रेन पर चढ़े यात्रियों में से ज़्यादातर वे हैं जो पूर्णिमा के दिन 84 कोसी परिक्रमा के लिए नैमिषारण्य जाते हैं। जान का जोखिम है फिर भी लोग ट्रेन की छत पर बैठे और खड़े होते हैं। दरवाज़ों से लटके होते हैं।
आए दिन होने वाले हादसों से भी इन्होंने कोई सबक नहीं मिला है। वहीं, रेल प्रशासन कभी भी इस प्रकार की यात्राओं से पहले कोई भी विशेष प्रबंध नहीं करता है। रेल प्रशासन के अलावा स्थानीय प्रशासन भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार है।
देखा गया है कि सीतापुर पैसेंजर ट्रेन में अंदर ही नहीं बाहर भी यानि छत पर ऊपर, डिब्बों के भीतर, डिब्बों के बीच में और यहां तक इंजन के आगे पीछे जहां भी जगह वहां यात्री खड़े और लटककर सफर करते हैं।
ट्रेन पर चढ़े यात्रियों में से ज़्यादातर वे हैं जो पूर्णिमा के दिन 84 कोसी परिक्रमा के लिए नैमिषारण्य जाते हैं। जान का जोखिम है फिर भी लोग ट्रेन की छत पर बैठे और खड़े होते हैं। दरवाज़ों से लटके होते हैं।
आए दिन होने वाले हादसों से भी इन्होंने कोई सबक नहीं मिला है। वहीं, रेल प्रशासन कभी भी इस प्रकार की यात्राओं से पहले कोई भी विशेष प्रबंध नहीं करता है। रेल प्रशासन के अलावा स्थानीय प्रशासन भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार है।
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