
- भारत-पाकिस्तान के बीच सर क्रीक क्षेत्र समुद्री सीमा विवाद का एक जटिल और अनसुलझा मुद्दा है जो दशकों से जारी है
- सर क्रीक गुजरात और सिंध के बीच 96 KM लंबा ज्वारीय मुहाना है, दोनों देशों की समुद्री सीमाओं को प्रभावित करता है
- भारत थालवेग सिद्धांत के आधार पर सीमांकन का पक्षधर है, पाक 1914 के प्रस्ताव को आधार मानकर दावा जताता है
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए 2 अक्टूबर को कहा कि सर क्रीक सेक्टर में इस्लामाबाद के किसी भी दुस्साहस का ‘‘निर्णायक जवाब'' दिया जाएगा और यह जवाब ऐसा होगा जो ‘‘इतिहास और भूगोल'' दोनों को बदल देगा. गुजरात के भुज में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के निकट एक सैन्य अड्डे पर ‘शस्त्र पूजा' के दौरान राजनाथ सिंह ने यह टिप्पणी की. उन्होंने यह कड़ी चेतावनी उस समय दी है जब इस विवादित क्षेत्र में पड़ोसी मुल्क अपने सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार कर रहा है. चलिए इस एक्सप्लेनर में आपको बताते हैं कि सर क्रीक क्या है, कहां है और यह दोनों देशों के बीच विवाद का मुद्दा कैसे है.
सर क्रीक का विवाद
वैसे पहली नजर में हमें सर क्रीक गुजरात और सिंध के बीच 96 किलोमीटर की कीचड़ से सनी निर्जन दलदली जमीन से अधिक नहीं लगती. इसके बावजूद यह संकीर्ण ज्वारीय मुहाना दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे जटिल सीमा विवादों में से एक के केंद्र में रहा है. दोनों देश समुद्री सीमा की अलग-अलग व्याख्या करते हैं और इस कारण इसे एक विवादित क्षेत्र माना जाता है.

अगर इसकी जियोग्रॉफी की बात करें तो सर क्रीक भारत के गुजरात राज्य को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करते हुए अरब सागर में मिलती (मुहाना) है. सर क्रीक विवाद को ऐसे समझिए कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा से संबंधित है. 1947 में बंटवारे के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और गुजरात भारत में रहा. 1968 में, एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण (इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल) ने कच्छ के रण के अधिकांश सीमा मुद्दे को सुलझा लिया, लेकिन कई दौर की बातचीत के बावजूद सर क्रीक अनसुलझा रहा. भारत चाहता है कि पहले समुद्री सीमा का सीमांकन किया जाए, जबकि पाकिस्तान का कहना है कि विवाद को उससे पहले ही सुलझा लिया जाना चाहिए.
पाकिस्तान 1914 के एक प्रस्ताव का हवाला देते हुए दावा करता है कि पूरी खाड़ी सिंध प्रांत की ही है, जिसमें सीमा को पूर्वी तट पर रखा गया था. वहीं भारत का तर्क है कि इसी प्रस्ताव में थालवेग सिद्धांत का भी बात की गई है, जो नौगम्य चैनल के बीच में सीमा निर्धारित करता है.
सर क्रीक क्यों अहम?
सर क्रीक की अहमियत केवल सुरक्षा लिहाज से नहीं है. भले यह जमीन की एक उजाड़ पट्टी दिखती है लेकिन तेल और गैस भंडार पर नियंत्रण से लेकर अरब सागर में समुद्री सीमाओं और विशेष आर्थिक क्षेत्रों के निर्धारण तक, इसपर कंट्रोल के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं. इस विवाद का असर स्थानीय मछुआरों पर भी पड़ता है, जो अक्सर अनजाने में दूसरे देश के जलक्षेत्र में चले जाते हैं और गिरफ्तार कर लिए जाते हैं. भले अंतर्राष्ट्रीय कानून में न्यूनतम दंड का प्रावधान है, लेकिन भारत और पाकिस्तान दोनों मछुआरों को लंबे समय तक हिरासत में रखते हैं, जिससे उनकी आजीविका का नुकसान होता है.
राजनाथ सिंह की चेतावनी
रक्षा मंत्री ने राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘यदि पाकिस्तान सर क्रीक सेक्टर में कोई दुस्साहस करता है, तो जवाब इतना कड़ा होगा कि वह इतिहास और भूगोल दोनों बदल देगा. उन्होंने कहा, ‘‘1965 के युद्ध में भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन किया था. आज 2025 में पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची जाने का एक रास्ता इसी क्रीक से होकर गुजरता है.''
रक्षा मंत्री ने कहा कि आजादी के 78 साल बाद भी पाकिस्तान सर क्रीक सेक्टर पर ‘विवाद पैदा करता रहता है', जबकि भारत इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए बार-बार प्रयास करता रहा है. उन्होंने कहा कि सर क्रीक से सटे इलाकों में उसके सैन्य बुनियादी ढांचे का हालिया विस्तार उसकी मंशा को दर्शाता है... सर क्रीक सेक्टर में पाकिस्तान द्वारा किए गए किसी भी दुस्साहस का निर्णायक जवाब दिया जाएगा.''
राजनाथ सिंह ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सेक्टर में ‘टाइडल बर्थिंग' सुविधा और एक संयुक्त नियंत्रण केंद्र (जेसीसी) का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये सुविधाएं एकीकृत तटीय संचालन के लिए प्रमुख सहायक के रूप में कार्य करेंगी, साथ ही संयुक्त संचालन क्षमता, तटीय सुरक्षा समन्वय और किसी भी खतरे पर त्वरित प्रतिक्रिया को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी.
राजनाथ सिंह ने अभी चेतावनी क्यों दी?
2019 के बाद से, पाकिस्तान ने सर क्रीक में अपनी सैन्य उपस्थिति तेजी से बढ़ाई है. उसने नई क्रीक बटालियन, तटीय रक्षा नौकाओं और समुद्री आक्रमण वाले छोटे जहाजों को तैनात किया है. इतना ही नहीं उसने और अधिक नौसैनिक जहाजों, चौकियों को बनाने- तैनात करने योजना बनाई है. इसने रडार, मिसाइलों और निगरानी विमानों के साथ वायु रक्षा को भी मजबूत किया है.
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