सिंगूर मामले में ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है…। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सिंगूर लैंड एक्ट को असंवैधानिक करार दिया है। ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह बिल पास किया था और सिंगूर में एक हजार एकड़ जमीन को किसानों को लौटाने का फै़सला किया था।
                                            
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        सिंगूर मामले में ममता सरकार को तगड़ा झटका लगा है…। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सिंगूर लैंड एक्ट को असंवैधानिक करार दिया है। ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह बिल पास किया था और सिंगूर में एक हजार एकड़ जमीन को किसानों को लौटाने का फै़सला किया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास अधिनियम को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें राष्ट्रपति की सहमति नहीं ली गई है। हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ़ ममता सरकार दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है।
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने बीते साल जून में नया कानून बनाकर टाटा समूह के साथ हुए पिछली लेफ्ट सरकार के करार को रद्द कर दिया था और नए कानून के मुताबिक टाटा को कारखाने के लिए मिली एक हज़ार एकड़ ज़मीन किसानों को वापस लौटाई जानी थी। हालांकि केंद्रीय कानून मंत्री हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका नहीं मानते।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा राज्य सरकार के पास इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का रास्ता खुला हुआ है लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला राज्य सरकार को ही लेना होगा। खुर्शीद ने माना कि यह फैसला प्रस्तावित नए ज़मीन अधिग्रहण बिल को लेकर चल रही बहस को एक दिशा दे सकता है।
उधर, ममता बनर्जी ने फैसले पर कोई टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा है कि उन्होंने सिंगूर के लोगों से ज़मीन लौटाने का वादा किया था और वह हमेशा लोगों के साथ रहेंगी।
                                                                        
                                    
                                कलकत्ता हाईकोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास अधिनियम को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें राष्ट्रपति की सहमति नहीं ली गई है। हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ़ ममता सरकार दो महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है।
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने बीते साल जून में नया कानून बनाकर टाटा समूह के साथ हुए पिछली लेफ्ट सरकार के करार को रद्द कर दिया था और नए कानून के मुताबिक टाटा को कारखाने के लिए मिली एक हज़ार एकड़ ज़मीन किसानों को वापस लौटाई जानी थी। हालांकि केंद्रीय कानून मंत्री हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका नहीं मानते।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा राज्य सरकार के पास इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का रास्ता खुला हुआ है लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला राज्य सरकार को ही लेना होगा। खुर्शीद ने माना कि यह फैसला प्रस्तावित नए ज़मीन अधिग्रहण बिल को लेकर चल रही बहस को एक दिशा दे सकता है।
उधर, ममता बनर्जी ने फैसले पर कोई टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा है कि उन्होंने सिंगूर के लोगों से ज़मीन लौटाने का वादा किया था और वह हमेशा लोगों के साथ रहेंगी।
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