प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट आज पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा नैनो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई करीब 1000 एकड़ जमीन पर अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि यह जमीन टाटा के पास रहेगी या किसानों को वापस दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट यह फैसला देगा कि तत्कालीन लेफ्ट सरकार द्वारा टाटा को प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण की गई जमीन कानून के तहत की गई थी या नहीं. दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था, जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्ट सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लगता है सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह जमीन का अधिग्रहण किया वह तमाशा और नियम कानून को ताक पर रखकर जल्दबाजी में लिया गया फैसला था. वहीं टाटा ने मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग की थी.
तारीखों में जानें इस पूरे मामले को
18 मई, 2006: तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और रतन टाटा ने सिंगूर में नैनो प्रोजेक्ट का ऐलान किया
20 सितंबर 2006: राज्य सरकार ने जमीन अधिग्रहित की
28 दिसंबर 2006: ममता बनर्जी ने 25 दिन की भूख हड़ताल खत्म की
9 मार्च 2007: टाटा ने जमीन पर कब्जा लिया
10 जनवरी 2008: नई दिल्ली में ऑटो शो में नैनो का प्रदर्शन किया
18 जनवरी 2008: कलकत्ता हाईकोर्ट ने अधिग्रहण को सही ठहराया
3 अक्तूबर 2008: रतन टाटा ने प्रोजेक्ट वापस लिया
13 मई 2011: तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में चुनाव जीता
9 जून 2011: ममता बनर्जी ने सिंगूर जमीन वापस लेने के लिए विधेयक लाने की घोषणा
13 जून 2011:विधानसभा में सिंगूर बिल पास किया
20 जून 2011: राज्यपाल ने बिल पर हस्ताक्षर किए
21 जून 2011: सरकार ने सिंगूर जमीन को वापस लिया
22 जून 2011: टाटा मोटर्स ने सिंगूर एक्ट को कोलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी, मामले पर रोक लगाने की मांग की।
27 जून 2011: हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इंकार किया, टाटा ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया
28 जून 2011: जमीन का सर्वे शुरू हुआ, कागजात सरकार को वापस किए गए
29 जून 2011: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को किसानों को जमीन वापस ना करने के आदेश दिए
सुप्रीम कोर्ट यह फैसला देगा कि तत्कालीन लेफ्ट सरकार द्वारा टाटा को प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण की गई जमीन कानून के तहत की गई थी या नहीं. दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था, जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्ट सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लगता है सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह जमीन का अधिग्रहण किया वह तमाशा और नियम कानून को ताक पर रखकर जल्दबाजी में लिया गया फैसला था. वहीं टाटा ने मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग की थी.
तारीखों में जानें इस पूरे मामले को
18 मई, 2006: तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और रतन टाटा ने सिंगूर में नैनो प्रोजेक्ट का ऐलान किया
20 सितंबर 2006: राज्य सरकार ने जमीन अधिग्रहित की
28 दिसंबर 2006: ममता बनर्जी ने 25 दिन की भूख हड़ताल खत्म की
9 मार्च 2007: टाटा ने जमीन पर कब्जा लिया
10 जनवरी 2008: नई दिल्ली में ऑटो शो में नैनो का प्रदर्शन किया
18 जनवरी 2008: कलकत्ता हाईकोर्ट ने अधिग्रहण को सही ठहराया
3 अक्तूबर 2008: रतन टाटा ने प्रोजेक्ट वापस लिया
13 मई 2011: तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में चुनाव जीता
9 जून 2011: ममता बनर्जी ने सिंगूर जमीन वापस लेने के लिए विधेयक लाने की घोषणा
13 जून 2011:विधानसभा में सिंगूर बिल पास किया
20 जून 2011: राज्यपाल ने बिल पर हस्ताक्षर किए
21 जून 2011: सरकार ने सिंगूर जमीन को वापस लिया
22 जून 2011: टाटा मोटर्स ने सिंगूर एक्ट को कोलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी, मामले पर रोक लगाने की मांग की।
27 जून 2011: हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इंकार किया, टाटा ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया
28 जून 2011: जमीन का सर्वे शुरू हुआ, कागजात सरकार को वापस किए गए
29 जून 2011: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को किसानों को जमीन वापस ना करने के आदेश दिए
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