कोच्चि:
साल 2019 तक खुले में शौच करने की प्रथा खत्म करने के लक्ष्य को लेकर भारत के स्वच्छ भारत मिशन शुरू करने के बीच एक अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि जब झुग्गी बस्तियों को सुरक्षित पेय जल और उचित स्वच्छता के साथ आधुनिकीकरण की बात आती है तो विकासशील देशों के शहर सिंगापुर जैसे पूर्वी एशियाई देशों से सबक सीख सकते हैं।
शोधपत्र 'एचिविंग टोटल सैनिटेशन एंड हाइजीन कवरेज विदइन ए जेनरेशन- लेसंस फ्रॉम ईस्ट एशिया' में कहा गया है, 'सस्ती सार्वजनिक आवास की तीव्र एवं व्यापक उपलब्धता से अनौपचारिक कामपोंग या अनपयुक्त झुग्गियों, जहां खुले में शौच आम प्रचलन था, से बड़ी संख्या में लोग फ्लैटों में आए जहां निजी सुरिक्षत स्वच्छता उपलब्ध थी।'
यह अध्ययन एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठन 'वाटरएड' ने किया। संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय पेयजल एवं स्वच्छता दशक (1981-1990) के जवाब में 1981 में यह संगठन बना था।
शोधपत्र का प्रस्तावना नोट लिखते हुए एचएसबीसी एशिया पैसिफिक के निदेशक नैना लाल किदवई ने कहा कि हमारे देश में स्वच्छता उपलब्ध कराने में आने वाली विविध चुनौतियां हैं।
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में खुले में शौच की प्रथा का 60 फीसदी हिस्सा भारत में है और कई शीर्ष सरकारी अधिकारियों और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं ने इसे शर्मनाक करार दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 तक संपूर्ण स्वच्छता हासिल करने के लिए पिछले साल स्वच्छ भारत अभियान छेड़ा था।
शोधपत्र 'एचिविंग टोटल सैनिटेशन एंड हाइजीन कवरेज विदइन ए जेनरेशन- लेसंस फ्रॉम ईस्ट एशिया' में कहा गया है, 'सस्ती सार्वजनिक आवास की तीव्र एवं व्यापक उपलब्धता से अनौपचारिक कामपोंग या अनपयुक्त झुग्गियों, जहां खुले में शौच आम प्रचलन था, से बड़ी संख्या में लोग फ्लैटों में आए जहां निजी सुरिक्षत स्वच्छता उपलब्ध थी।'
यह अध्ययन एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठन 'वाटरएड' ने किया। संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय पेयजल एवं स्वच्छता दशक (1981-1990) के जवाब में 1981 में यह संगठन बना था।
शोधपत्र का प्रस्तावना नोट लिखते हुए एचएसबीसी एशिया पैसिफिक के निदेशक नैना लाल किदवई ने कहा कि हमारे देश में स्वच्छता उपलब्ध कराने में आने वाली विविध चुनौतियां हैं।
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में खुले में शौच की प्रथा का 60 फीसदी हिस्सा भारत में है और कई शीर्ष सरकारी अधिकारियों और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं ने इसे शर्मनाक करार दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 तक संपूर्ण स्वच्छता हासिल करने के लिए पिछले साल स्वच्छ भारत अभियान छेड़ा था।
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