इसी स्थान पर सिमी आतंकियों को मुठभेड़ मार गिराया गया
भोपाल:
भोपाल में जेल तोड़कर फ़रार हुए सिमी के आठ कैदियों की मुठभेड़ को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क़ैदियों के भागने, उनके ईंटखेड़ी तक पहुंचने और वहां मारे जाने के बीच कई टूटी हुई कड़ियां हैं और हैरान करने वाले हालात हैं.
दरअसल, भोपाल सेंट्रल जेल से क़रीब 12 किलोमीटर दूर इस पठारी इलाक़े में सोमवार सुबह हुई तथाकथित मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाले वीडियो एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. इन वीडियो में कहीं पुलिस, फ़रार क़ैदियों को घेरते हुए दिख रही है, कहीं उन पर फायर करते हुए और कहीं उनकी जेब से हथियार निकालते हुए. यह कहीं नज़र नहीं आ रहा कि यहां मुठभेड़ के हालात थे. चश्मदीद जो बता रहे हैं, उससे भी इस दावे की तस्दीक नहीं हो रही.
अजय अहिरवाल जो कि एक चश्मदीद है, ने NDTV को बताया, 'वो पत्थर फेंक रहे थे जब गांव वालों ने उन्हें घेर लिया और पुलिस को इत्तला दी. कई गांव वालों ने वीडियो भी बनाए.' वैसे इन वीडियो के अलावा भी रविवार रात 2-3 बजे से शुरू होकर सोमवार सुबह तक चली इस कहानी में कई सवाल हैं....
-भोपाल की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली सेंट्रल जेल से 8 क़ैदी एक साथ कैसे फ़रार हो गए?
-उनकी निगरानी के लिए तैनात एसएएफ के लोग रविवार रात क्यों नहीं थे?
-उनकी सेल में लगे 4 सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं काम कर रहे थे?
-उनके पास इतने हथियार कहां से आ गए, जितने पुलिस बता रही है?
-फ़रारी के बाद इतने घंटों में वो एक साथ इकट्ठा बस 12 किमी दूर कैसे पहुंच पाए?
जेल अधिकारियों से लेकर जेल मंत्री तक सबके पास बस एक ही जवाब हैं- इन सबकी जांच हो रही है. जेल मंत्री कुसुम महेदेले ने कहा कि सारे पहलू जांच के दायरे में हैं. मगर मुठभेड़ की सच्चाई पर सवाल बढ़ते जा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक देश की सुरक्षा का हवाला दे रहे हैं.
इन सबके बीच राज्य सरकार ने साफ़ कर दिया है कि एनआईए की जांच मुठभेड़ पर नहीं, क़ैदियों की फ़रारी पर केंद्रित होगी. मध्यप्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को दिया जा चुका है.जाहिर है, अब ये जांच से ही सामने आएगा कि फ़रारी और मारे जाने के बीच किन-किन लोगों ने क्या-क्या भूमिका अदा की.
दरअसल, भोपाल सेंट्रल जेल से क़रीब 12 किलोमीटर दूर इस पठारी इलाक़े में सोमवार सुबह हुई तथाकथित मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाले वीडियो एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. इन वीडियो में कहीं पुलिस, फ़रार क़ैदियों को घेरते हुए दिख रही है, कहीं उन पर फायर करते हुए और कहीं उनकी जेब से हथियार निकालते हुए. यह कहीं नज़र नहीं आ रहा कि यहां मुठभेड़ के हालात थे. चश्मदीद जो बता रहे हैं, उससे भी इस दावे की तस्दीक नहीं हो रही.
अजय अहिरवाल जो कि एक चश्मदीद है, ने NDTV को बताया, 'वो पत्थर फेंक रहे थे जब गांव वालों ने उन्हें घेर लिया और पुलिस को इत्तला दी. कई गांव वालों ने वीडियो भी बनाए.' वैसे इन वीडियो के अलावा भी रविवार रात 2-3 बजे से शुरू होकर सोमवार सुबह तक चली इस कहानी में कई सवाल हैं....
-भोपाल की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली सेंट्रल जेल से 8 क़ैदी एक साथ कैसे फ़रार हो गए?
-उनकी निगरानी के लिए तैनात एसएएफ के लोग रविवार रात क्यों नहीं थे?
-उनकी सेल में लगे 4 सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं काम कर रहे थे?
-उनके पास इतने हथियार कहां से आ गए, जितने पुलिस बता रही है?
-फ़रारी के बाद इतने घंटों में वो एक साथ इकट्ठा बस 12 किमी दूर कैसे पहुंच पाए?
जेल अधिकारियों से लेकर जेल मंत्री तक सबके पास बस एक ही जवाब हैं- इन सबकी जांच हो रही है. जेल मंत्री कुसुम महेदेले ने कहा कि सारे पहलू जांच के दायरे में हैं. मगर मुठभेड़ की सच्चाई पर सवाल बढ़ते जा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक देश की सुरक्षा का हवाला दे रहे हैं.
इन सबके बीच राज्य सरकार ने साफ़ कर दिया है कि एनआईए की जांच मुठभेड़ पर नहीं, क़ैदियों की फ़रारी पर केंद्रित होगी. मध्यप्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को दिया जा चुका है.जाहिर है, अब ये जांच से ही सामने आएगा कि फ़रारी और मारे जाने के बीच किन-किन लोगों ने क्या-क्या भूमिका अदा की.
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