राजस्थान के कोटा के बाद अब सीकर में भी 2 दिन के अंदर दो छात्रों के आत्महत्या करने के मामले सामने आए हैं, जो कई सवाल खड़े करते हैं. जिस तरह से सीकर में छात्र आत्महत्या कर रहे हैं उसे देखकर लग रहा है कि अब सीकर में भी कोटा की तरह की हालात होते जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कोटा के बाद सीकर भी कोचिंग हब बनता जा रहा है. यहां आपको बता दें कि कोटा में छात्रों का आत्महत्या करना बेहद चिंताजनक विषय रहा है.
एक दिन पहले ही कराया था एडमिशन
दरअसल, 15 वर्षीय शैलेश सैनी करौली के एक छोटे से गांव से सीकर आया था. यहां उसने दसवीं में एडमिशन लिया था लेकिन उसका मकसद आगे कोचिंग लेकर नीट या फिर इंजीनियरिंग की तैयारी करने का था. शैलेश के पिता किसान हैं. शैलेश का एक बड़ा भाई भी है जो अहमदाबाद में मजदूरी करता है. शैलेश पढ़ाई में अच्छा था और इस वजह से पिता ने कई उम्मीदों के साथ उसे सीकर भेजा था. यहां 29 जून को उसका एडमिशन हुआ था और 30 जून को देर रात हॉस्टल के कमरे में उसने अपनी जान ले ली.
शैलेश के पिता ने कही ये बात
शैलेश के पिता हलकेश सैनी ने बताया कि वो अपने बच्चे को राजी खुशी यहां छोड़ कर गए थे. हॉस्टल वालों ने उन्हें आश्वासित किया कि दिन में दो से तीन बार वॉर्डन बच्चों को देखने जाते हैं लेकिन हलकेश ने बताया कि उनके बच्चे की मृत्यु की जानकारी भी उन्हें पुलिस ने ही दी है. बच्चे के पिता ने कहा, "हम अपने बच्चे को यहां एडमिशन के बाद राजी खुशी छोड़ कर गए थे और पुलिस ने हमें फोन किया. इन लोगों ने बोला था कि ये बच्चे पर नजर रखेंगे लेकिन इनकी लापरवाही है. हॉस्टल वालों ने लापरवाही की है."
शैलेश ने भाई सोनू से की थी बात
शैलेश के भाई सोनू ने कहा, "गुरुकृपा आस्था अकादमी में हमने एडमिशन करावाया था और स्टाफ से बात भी की थी. उन्होंने कहा था कि वो दिन में वार्ड को 2-3 बार चेक करते हैं और नजर रखते हैं. हमने उसे जाने से पहले अच्छे से समझाया था. रविवार शाम को उससे फोन पर बात भी की थी लेकिन रात तक उसने ऐसा कर लिया."
विशाल यादव ने भी 1 जुलाई को की थी आत्महत्या
नीट फाउंडेशन कोर्स की तैयारी करने के लिए आए विशाल यादव ने 1 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी. जयपुर के स्थित हिंगोनिया से विशाल यादव सीकर आया था. यहां उसने 26 जून को एडमिशन लिया था और ग्यारवी की पढ़ाई के साथ मेडिकल की तैयारी कर रहा था. सीकर में एक दिन में दो छात्रों के आत्महत्या करने से शहर सहम गया है. पिछले कुछ सालों में सीकर भी कोचिंग व्यवसाय में अपना नाम बनाने लगा है. पिछले 5 सालों में यहां आधा दर्जन से अधिक नीट और आईआओईटी की तैयारी करने वाले बड़े-बड़े संस्थानों ने यहां इंस्टीट्यूट खोले हैं.
सीकर में गाइडलाइन को नहीं किया जा रहा फॉलो
हालांकि, हैरान कर देने वाली यह है कि कोटा की तरह कोचिंग हब बनते जा रहे सीकर के लिए सरकार ने कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है. कोचिंग में एडमिशन के लिए एक उम्र का तय होना या फिर पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद ही कोचिंग सेंटर में एडमिशन लेना, जिस छात्र की जिस विषय में रुचि हो उसी में उसका दाखिला किया जाना आदि कुछ गाइडलाइन्स हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया था लेकिन सीकर में फिलहाल इसका पालन नहीं किया जा रहा है. मनोविशेषज्ञों की माने तो कम उम्र में बच्चों पे पढ़ाई का ज़्यादा भोज नहीं डालना चाहिए.
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