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क्या दोषी सांसदों, विधायकों पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध हो? सुप्रीम कोर्ट मामला सुनने को तैयार

बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने यह यचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि वे स्वच्छ छवि वाले लोगों को क्यों नहीं ढूंढ पा रही है. दलील ये दी जाती है कि आरोपी एक सामाजिक कार्यकर्ता है जिसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं.

क्या दोषी सांसदों, विधायकों पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध हो? सुप्रीम कोर्ट मामला सुनने को तैयार
मामले को सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच को भेजा गया है.
नई दिल्ली:

आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीति मे भाग लेने पर प्रतिबंधित लगाने की मांग वाली याचिका पर 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. क्या दोषी सांसदों और विधायकों पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध हो? इसपर सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है और केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. इस मामले पर 4 मार्च को सुनवाई होगी. मामले को सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच को भेजा गया है.

हम जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 की जांच करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक सरकारी कर्मचारी जैसे कि क्लास 4 कर्मचारी एक बार हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाए जाने के बाद अपनी नौकरी वापस नहीं पा सकता. लेकिन एक सांसद/विधायक एक बार फिर सांसद या विधायक बन सकता है और मंत्री भी बन सकता है. हम जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 की जांच करेंगे. 

दरअसल याचिका में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीति मे भाग लेने पर प्रतिबंधित लगाने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान निचली अदालतों में एमपी/एम एल ए कोर्ट में सुनवाई की रफ्तार धीमी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि दिल्ली की निचली अदालतों में उन्होंने देखा है कि एक या दो मामले लगाए जाते है और जज 11 बजे तक अपने चैंबर मे चले जाते हैं. 

एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश के दूसरे राज्यों मे बार बार सुनवाई टाल दी जाती है और सुनवाई टालने का कारण भी नहीं बताया जाता.  सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि बहुत से ऐसे राज्य हैं जहां अबतक एमपी/एम एल ए कोर्ट गठित नहीं की गई है. हंसारिया ने कोर्ट को सुझाव दिया कि क्या चुनाव आयोग ऐसा नियम नहीं बना सकता कि राजनीतिक पार्टियां गंभीर अपराध मे सजा पाए लोगों को पार्टी पदाधिकारी नहीं नियुक्त कर सकती.  

बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की याचिका

बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने ये याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि वे स्वच्छ छवि वाले लोगों को क्यों नहीं ढूंढ पा रही है. दलील ये दी जाती है कि आरोपी एक सामाजिक कार्यकर्ता है जिसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं.

फिलहाल आपराधिक मामलों में दो साल या उससे अधिक की सज़ा होने पर सज़ा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव लड़ने पर ही रोक है. 

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