रेलवे यात्रियों (Railway passengers) को लिनन (Linen) की सुविधा बहाल करने की घोषणा के दो महीने बाद भी इसे उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष कर रहा है. अधिकारियों का कहना है कि भंडार का 60 प्रतिशत कोविड-19 महामारी के वर्षों के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया और काफी मात्रा में इसे मास्क बनाने के लिए भेज दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने चादर, तौलिया, कंबल और तकिये के कवर सहित 15 लाख ‘बेडरोल' सामानों के लिए आर्डर दिया है, ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके और ‘लिनन' सेवाएं पूरी तरह से बहाल की जा सकें. कोविड से जुड़ी ज्यादातर पाबंदियों को हटा दिये जाने के साथ रेलवे ने 10 मार्च को कहा था कि ‘लिनन' की सुविधा चरणबद्ध तरीके से ट्रेन में बहाल की जाएगी.
हालांकि, घोषणा के दो महीने बाद भी इसे पूरी तरह से बहाल नहीं किया जा सका है. सूत्रों ने बताया कि कारोना वायरस (Coronavirus) महामारी शुरू होने से पहले यह सुविधा 1,114 जोड़ी ट्रेन में उपलब्ध थी, लेकिन अब इसे सिर्फ 520 जोड़ी ट्रेन में ही उपलब्ध कराया जा रहा है. कोविड के पहले 1,308 ट्रेन के डिब्बों में पर्दे लगे होते थे, वहीं वर्तमान में वे 1,225 ट्रेन में उपलब्ध हैं. अधिकारियों ने कहा कि पिछले दो साल में कोरोना वायरस संकट के कारण आपूर्ति श्रृंखला में बड़ा व्यवधान पड़ा है. पहले, ट्रेन में उपलब्ध कराये जाने वाले ‘लिनन' खादी एवं ग्राम उद्योग आयोग से लिये जाते थे, अब मिल से लिनन खरीदने के लिए जोन के मंडल रेलवे प्रबंधकों को शक्तियां दी गई हैं. रेलवे को प्रतिदिन इस तरह के ‘लिनन' के करीब 7.5 लाख पैकेट की जरूरत है, जिनमें चादर, तकिये के कवर, कंबल और छोटा तौलिया शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में इसका केवल आधा ही उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि रेलवे के पास पिछले दो साल में उपलब्ध भंडार का करीब 60 प्रतिशत क्षतिग्रस्त हो गया और काफी मात्रा में इसका उपयोग मास्क बनाने में भी किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि यहां तक कि रेलवे अपने ‘लिनन' की धुलाई के लिए जिन 70 लाउंड्री का उपयोग करता है,उन्हें दुरूस्त करने की जरूरत है और रेलवे ने यह प्रक्रिया शुरू कर दी है. रेलवे अब यात्रियों को, टिकट बुक करने पर ट्रेन में ‘लिनन' की उपलब्धता के बारे में सूचना देने के लिए संदेश भेजता है.
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