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शिवाजी महाराज की प्रतिमा कैसे और क्यों गिरी? जानिए फैक्ट्स; उद्धव से लेकर शिंदे ने क्या कहा?

shivaji statue collapse : शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में महाराष्ट्र उबल रहा है. इस रिपोर्ट में जानिए, इससे जुड़े सभी फैक्ट्स और किसने क्या कहा?

शिवाजी महाराज की प्रतिमा कैसे और क्यों गिरी? जानिए फैक्ट्स; उद्धव से लेकर शिंदे ने क्या कहा?
छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति चरम पर है.

Shivaji Row : महाराष्ट्र की राजनीति में भी कटुता चरम पर पहुंच गई है. अब तक महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक रिश्ता दिखता था. मुद्दों पर राजनीति होती थी और शब्दों से प्रहार होते थे. महाराष्ट्र के बारे में कहा जाता था कि यहां के नेता भले ही कितने बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंदी हों लेकिन वो इसे दुश्मनी में नहीं बदलते हैं. मगर अब शायद महाराष्ट्र की हवा बदल रही है. शिवाजी की प्रतिमा ढहने के मामले में कोहराम मचा हुआ है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र की जनता से इस संबंध में माफी मांग ली. हालांकि, विपक्ष इस मामले को छोड़ने के मूड में नहीं दिखता. आज जूता मारो आंदोलन में शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस में महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले शामिल हुए और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के पोस्टर पर चप्पल मारे.  

चप्पल बरसा क्या बोले उद्धव? 

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना- यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के विरोध में दक्षिण मुंबई स्थित प्रतिष्ठित हुतात्मा चौक से ‘गेटवे ऑफ इंडिया' तक रविवार को ‘महा विकास आघाड़ी' (एमवीए) के मार्च का नेतृत्व किया. शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ‘गेटवे ऑफ इंडिया' पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘क्या आपने (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की) माफी में अहंकार को देखा? इसमें अहंकार की बू आ रही थी. एक उपमुख्यमंत्री मुस्कुरा रहे थे. इस गलती (प्रतिमा ढहने की घटना) को माफ नहीं किया जा सकता. हम सभी यहां ‘भाजपा के भारत से बाहर जाने' की मांग को लेकर एकत्र हुए हैं.''उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग महान योद्धा के अपमान को कभी माफ नहीं करेंगे. ठाकरे ने मोदी की ‘‘गारंटी'' का उपहास उड़ाने के लिए प्रतिमा के ढहने, राम मंदिर में और नए संसद भवन परिसर में रिसाव का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री किस बात के लिए माफी मांग रहे थे? उस प्रतिमा के लिए जिसका उन्होंने आठ महीने पहले उद्घाटन किया था? उसमें शामिल भ्रष्टाचार के लिए? एमवीए कार्यकर्ताओं को शिवाजी महाराज का अपमान करने वाली ताकतों को हराने के लिए मिलकर काम करना चाहिए. प्रतिमा का गिरना महाराष्ट्र की आत्मा का अपमान है.''

शरद पवार और कांग्रेस के आरोप

शरद पवार ने विरोध मार्च में कहा, ‘‘सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है. यह सभी शिवाजी प्रेमियों का अपमान है.''कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री के माफी मांगने से बहुत पहले ही विपक्ष ने ऐसी ‘‘शिवाजी द्रोही'' सरकार को सत्ता में आने देने के लिए मराठा योद्धा से माफी मांगी थी. आगामी विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा कि हमने संकल्प लिया है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा. पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए माफी मांगी है.

शिंदे को क्यों याद आए औरंगजेब

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को अपने प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला करते हुए उन पर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर राजनीति करने और औरंगजेब तथा अफजल खान के कारनामों का अनुकरण करने का आरोप लगाया. शिंदे ने पत्रकारों से बातचीत में 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग के मालवन इलाके में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना पर राजनीति करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की. शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार तथा खुद उनके द्वारा इस ‘दुखद' घटना के लिए माफी मांगने के बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष राजनीति कर रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस शासित कर्नाटक में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को दो जेसीबी (निर्माण उपकरण) से उखाड़ दिया गया. महाराष्ट्र के लोगों ने दो साल पहले उन्हें (ठाकरे) उनकी जगह दिखा दी. आप छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेते हैं, लेकिन औरंगजेब और अफजल खान के कारनामे दोहराते हैं.''

पीएम मोदी ने ये कहा था...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के तटीय सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने को लेकर मराठा शासक के साथ ही इस घटना से आहत लोगों से भी 30 अगस्त को माफी मांगी थी. प्रधामंत्री ने कहा कि वह शिवाजी महाराज के चरणों में अपना शीश झुकाकर माफी मांगते हैं. पीएम मोदी ने कहा था, “छत्रपति शिवाजी महाराज... सिर्फ नाम या राजा नहीं हैं, हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य देव हैं. पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, आज मैं अपने आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज जी के चरणों में सिर झुकाकर माफी मांगता हूं. ”उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही मैं यहां उतरा, मैंने सबसे पहले शिवाजी से प्रतिमा गिरने की घटना के लिए माफी मांगी. मैं उन लोगों से भी माफी मांगता हूं, जो इससे आहत हुए हैं.''

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बगैर इजाजत प्रतिमा की ऊंचाई बढ़ी?

इस मामले में संरचना इंजीनियर चेतन पाटिल और मूर्तिकार जयदीप आप्टे के खिलाफ 26 अगस्त को ही केस दर्ज कर लिया गया था. बृहस्पतिवार रात को चेतन पाटिल को गिरफ्तार भी कर लिया गया. चेतन ने बताया कि उनका काम सिर्फ प्रतिमा के लिए मंच बनाना था. पीडब्ल्यूडी के माध्यम से उसने नौसेना को मंच का डिजाइन सौंपा था. उसके अनुसार ठाणे की एक कंपनी आर्टिसरी ने प्रतिमा से संबंधित काम किया था. वहीं इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब महाराष्ट्र कला निदेशालय के डायरेक्टर राजीव मिश्रा ने बताया कि उनके निदेशालय कि तरफ से सिर्फ 6 फीट की प्रतिमा के लिए परमिशन दी गई थी. नौसेना ने बिना बताए 35 फीट कर दी. नौसेना ने मूर्तिकार और सलाहकार नियुक्त किए और डिजाइन फाइनल होने के बाद इसे वापस निदेशालय के पास मंजूरी के लिए भेजा. राजीव मिश्रा के इस दावे से गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर किसके कहने पर बगैर इजाजत प्रतिमा की ऊंचाई बढ़ाई गई?  

"पक्ष-विपक्ष दोनों कर रहे राजनीति"

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने रविवार को कहा कि एकनाथ शिंदे नीत महायुति सरकार और विपक्ष छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर राजनीति न करें. जरांगे ने साथ ही राज्य तथा राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की. जरांगे ने मालवन में राजकोट किले का दौरा किया, जहां 17वीं शताब्दी के मराठा योद्धा की 35 फुट ऊंची प्रतिमा 26 अगस्त को ढह गई थी. जरांगे ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ विपक्ष और सरकार दोनों को ही इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. सरकार को मामले की विस्तृत जांच करानी चाहिए. ठेकेदारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा कि विपक्ष और महायुति सरकार दोनों ही शिवाजी के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने कहा, ‘‘ एक कानून होना चाहिए कि जो लोग प्रतीकों का अपमान करते हैं उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए और उन्हें जल्दी बाहर नहीं आने दिया जाना चाहिए.''

इतनी कड़वाहट क्यों?

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अब सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी सहित राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद से लेकर देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के माफी मांगने के बाद भी विपक्ष इतना आक्रामक क्यों है कि चप्पलों से पोस्टर पर मार रहा है? जवाब है महाराष्ट्र में जल्द होने वाला विधानसभा चुनाव और शिवसेना और एनसीपी में हुई टूट की नाराजगी. विपक्ष को चुनाव के लिए सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा मिल गया है. इसके जरिए जनता की सहानुभूति भी विपक्ष को मिल सकती है. मगर विपक्ष को ये भी बताना पड़ेगा कि आखिर वह चाहता क्या है? माफी तो पीएम मोदी से लेकर अजित पवार तक मांग चुके हैं. दोषियों पर कार्रवाई भी हो रही है. फिर से शिवाजी की प्रतिमा लगाने का काम भी हो रहा है तो फिर अब आगे क्या? कहीं जूता मारो आंदोलन पार्टी टूटने की खीझ तो नहीं? महाराष्ट्र की जनता इतना तो सोचेगी ही.

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