कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा मुद्दे पर बढ़ते तनाव के बीच, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने बुधवार को यह कहकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया, "जिस तरह चीन हमारे देश में घुसा है, वैसे हम कर्नाटक में घुसेंगे." उन्होंने कहा कि उन्हें इस पर किसी की 'अनुमति' की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, "जैसे चीन घुसा है, हम (कर्नाटक) में घुसेंगे. हमें किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है. हम इसे चर्चा के जरिए सुलझाना चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री आग लगा रहे हैं. महाराष्ट्र में कमजोर सरकार है और कोई स्टैंड नहीं ले रही है."
दशकों पुराने सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बढ़े तनाव के समय संजय राउत का बयान आया है. मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है.
एकनाथ शिंदे की सरकार को इस मुद्दे पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. विपक्ष ने भी महाराष्ट्र विधानसभा के चल रहे शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाया है.
विपक्ष के नेता अजीत पवार ने इससे पहले विधानसभा में सीमा विवाद का मुद्दा उठाया और कहा, ''महाराष्ट्र के एक लोकसभा सदस्य को बेलगाम में प्रवेश करने से रोक दिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक बैठक में तय किया गया था कि वहां जाने से किसी को रोका नहीं जाएगा. तो वहां के कलेक्टर ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं?"
अजीत पवार द्वारा उठाए गए मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, "देश के गृह मंत्री ने पहली बार सीमा विवाद में मध्यस्थता की, उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है, हमने सीमा पर रहने वालों का पक्ष उनके सामने रखा है, सीमा विवाद पर अमित शाह ने अपनी बात रखी है, अब सीमा विवाद पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, हमें सीमा के पास रहने वालों के साथ मिलकर खड़ा होना चाहिए."
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री शिंदे की टिप्पणी का समर्थन किया और कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी.
महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा सोमवार को बेलागवी में प्रवेश की अनुमति की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. इसके बाद से महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा पर बेलगावी के सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव पैदा हो गया.
बेलगावी पुलिस ने एमईएस को तिलकवाड़ी में वैक्सीन डिपो मैदान में अपना महा मेला आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और तिलकवाड़ी पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में प्रतिबंधित आदेशों को लागू कर दिया.
इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है और एमईएस सम्मेलन स्थल पर भारी सुरक्षा तैनात कर दी गई है, जो आज कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन होने वाला था.
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के कार्यान्वयन के समय से चला आ रहा है. तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: समायोजन की मांग की थी.
इसके बाद दोनों राज्यों की ओर से चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य रूप से कन्नड़ भाषी 260 गांवों को स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन कर्नाटक द्वारा प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया था. बाद में दोनों सरकारों ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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