शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने बताया पार्टी ने लोकसभा में किया ये बड़ा बदलाव

अरविंद सावंत (Arvind Sawant) ने कहा, "एकनाथ शिंदे का बेटा सांसद है. यह बात आप सभी लोग जानते हैं. क्या वह अपने पिता के साथ जा रहे हैं या उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) जी के साथ रहेंगे? उद्धव ठाकरे जी कुछ लोगों को जानते हैं. हम इस चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं."

शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने बताया पार्टी ने लोकसभा में किया ये बड़ा बदलाव

मुंबई:

शिवसेना (Shiv Sena )के अरविंद सावंत (Arvind Sawant) ने आज लोकसभा में एक नए चीफ व्हिप के चुनाव को तवज्जो नहीं दी. इसे विधानसभा में हुई विभाजन की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर एहतियाती उपाय के रूप में देखा. उन्होंने कहा कि पूर्व व्हिप भावना गवली (Bhawna Gawli) को प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर होने की चिंता थी. उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की बात कही. 

सावंत ने कहा कि जब मुझसे रंजन विचारे के नए सचेतक के नाम के बारे में पूछा गया. यह पूछे जाने पर कि क्या सांसदों के खेमे बदलने की कोई चिंता नहीं है, उन्होंने कहा, "आप जानते हैं कि उनका (एकनाथ शिंदे का) बेटा सांसद है. क्या वह अपने पिता के साथ रहने वाले हैं या उद्धव ठाकरे जी के साथ रहेंगे? उद्धव ठाकरे जी कुछ लोगों को जानते हैं. हम करते हैं. हम इस चुनौती को स्वीकार कर रहे हैं."

सावंत ने कहा कि दिन उद्धवजी ने वर्षा (मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास) छोड़ा, पूरा महाराष्ट्र रोया. वह शिवसेना की संपत्ति हैं. उद्धव जी, (पार्टी संस्थापक) बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना में विश्वास करते हैं. लेकिन वे किसी में विश्वास नहीं करते हैं. सावंत ने एनडीटीवी को बताया, से कहा कि मौजूदा संकट सिर्फ विधायक दल में विभाजन था, न कि शिवसेना में. हालांकि जिसे उन्होंने विधायक दल में विभाजन कहा था, वह और गहरा हो गया है. ठाणे में 66 पूर्व पार्षदों ने आज एकनाथ शिंदे के समर्थन की घोषणा की है. मुंबई नागरिक निकाय बृहन्मुंबई निगम के बाद, ठाणे महाराष्ट्र का सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित नागरिक निकाय है. इसमें शिवसेना का वर्चस्व है. 

सावंत ने महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को गिराकर शिंदे गिट की सरकार बनने पर कहा, "कृपया कानूनों के विवरण देखें. संविधान संकट में है. उन्होंने कानून के सभी प्रावधानों का उल्लंघन किया है." संविधान की दसवीं अनुसूची दलबदलुओं को विधायी निकायों की सदस्यता से अयोग्य घोषित करती है, लेकिन इसके पैराग्राफ 4 में कुछ छूट दी गई हैं, जिसमें लिखा है: "दलबदल के आधार पर अयोग्यता विलय के मामले में लागू नहीं होगी. 

(1) एक सदस्य सदन को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा :जहां उसकी मूल राजनीतिक पार्टी का किसी अन्य राजनीतिक दल में विलय हो जाती है और वह दावा करता है कि वो और उसके मूल राजनीतिक दल के अन्य सदस्य: (ए) ऐसे अन्य राजनीतिक दल के सदस्य बन गए हैं या, जैसा भी मामला हो, इस तरह के विलय द्वारा गठित एक नए राजनीतिक दल की; या (बी) ने विलय को स्वीकार नहीं किया है और एक अलग समूह के रूप में कार्य करने का विकल्प चुना है.

(2) किसी सदन के किसी सदस्य के मूल राजनीतिक दल का विलय तब माना जाएगा, जब संबंधित विधायक दल के कम से कम दो-तिहाई सदस्य ऐसे विलय के लिए सहमत हों. "

उप-धारा (2) को अक्सर इस रूप में व्याख्या किया गया है - यदि किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायक किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाते हैं, तो वे अयोग्यता से बच जाएंगे. गोवा हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा है.

एकनाथ शिंदे के बिना पार्टी विलय किये नई सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने को लेकर टीम ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ठाकरे गुट का दावा है कि उन्होंने दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया है. इस मामले में कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को करेगा.

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