प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के जैतापुर में लगने वाली देश की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना के सौदे पर मुहर लगा दी है, लेकिन बड़ा सवाल है इस परियोजना का शुरू से विरोध करने वाली शिवसेना को क्या सरकार मना पाएगी।
महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के जैतापुर में फ्रांसीसी कंपनी अरेवा के सहयोग से बनने वाले जैतापुर परमाणु बिजली संयंत्र से 9990 मेगावाट बिजली बनने की उम्मीद है। लेकिन इस परियोजना के ख़िलाफ स्थानीय लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है। संयंत्र को लेकर इलाके में कई बार हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं।
आशंका है कि कोंकण किनारे करीब 7 गांवों के हज़ारों मछुआरों के लिए रोज़ी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। ऐसे में चुनावों के दौरान किसी भी कीमत पर ये संयंत्र नहीं बनने देने का वादा कर चुकी शिवसेना आक्रामक है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, हम सरकार से अपील करते हैं कि जैतापुर परमाणु संयंत्र के मुद्दे पर किसानों का ध्यान रखा जाए, अगर जनता विरोध करेगी, तो हम उसका साथ देंगे। जबकि सरकार का बचाव करते हुए बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सारे मंत्री पूरी मेहनत से देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं, अगर कोई संशय है तो हम उसका समाधान करेंगे।
इस मुद्दे पर कोंकण से कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण राणे, जो मंत्री रहते समय लोगों के विरोध को सियासत करार दे चुके हैं, अब शिवसेना की बयानबाज़ी को स्टंट बता रहे हैं। उनका कहना है कि शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का विरोध दिखाने का है... बीजेपी को जो करना है, वो कर रही है।
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