नई दिल्ली:
शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने 'एनीथिंग बट ख़ामोश' नामक अपनी किताब में बताया है कि वर्ष 1991 में अपने साथी बॉलीवुड सितारे राजेश खन्ना के खिलाफ दिल्ली से चुनाव लड़ने को लेकर उन्हें बड़ा दुख हुआ था। उन्होंने बताया कि उन्होंने राजेश खन्ना से इस बात से माफी भी मांगी थी।
(पढ़ें- शत्रुघ्न बोले- उम्मीद है, पार्टी बदलने संबंधी ज्योतिषी की भविष्यवाणी सही नहीं होगी)
सिन्हा ने कहा, 'किसी भी हालत में मैं उपचुनाव के साथ अपना सक्रिय राजनीतिक जीवन शुरू नहीं करता। लेकिन मैं (एलके) आडवाणी जी को मना नहीं कर सकता था, जोकि मेरे गाइड, गुरु और सर्वश्रेष्ठ नेता हैं।'
बीजेपी के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण आडवाणी ने साल 1991 में गुजरात के गांधीनगर और नई दिल्ली की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। दोनों ही सीटों पर जीत मिलने के बाद उन्होंने दिल्ली की सीट छोड़ दी थी। इसके बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खन्ना के खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा को खड़ा किया था।
सिन्हा ने अपनी किताब में लिखा है कि उस चुनाव में हारना मेरे लिए निराशा के दुर्लभ क्षणों में से एक था। वह लिखते हैं, 'वह पहला मौका था, जब मैं रोया था। मुझे इस वजह से भी निराशा हुई कि आडवाणी जी मेरे लिए एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं आए।'
हालांकि बाद में पटना साहिब सीट से सांसद को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री का जिम्मा दिया गया। उन्होंने इस किताब में राजनीति के अपने शुरुआती दिनों में खुद को उपेक्षित किए जाने का भी जिक्र किया है। अपनी जीवनी के बारे में सिन्हा ने ट्वीट किया कि
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सिन्हा ने कहा, 'किसी भी हालत में मैं उपचुनाव के साथ अपना सक्रिय राजनीतिक जीवन शुरू नहीं करता। लेकिन मैं (एलके) आडवाणी जी को मना नहीं कर सकता था, जोकि मेरे गाइड, गुरु और सर्वश्रेष्ठ नेता हैं।'
बीजेपी के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण आडवाणी ने साल 1991 में गुजरात के गांधीनगर और नई दिल्ली की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। दोनों ही सीटों पर जीत मिलने के बाद उन्होंने दिल्ली की सीट छोड़ दी थी। इसके बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खन्ना के खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा को खड़ा किया था।
सिन्हा ने अपनी किताब में लिखा है कि उस चुनाव में हारना मेरे लिए निराशा के दुर्लभ क्षणों में से एक था। वह लिखते हैं, 'वह पहला मौका था, जब मैं रोया था। मुझे इस वजह से भी निराशा हुई कि आडवाणी जी मेरे लिए एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं आए।'
हालांकि बाद में पटना साहिब सीट से सांसद को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री का जिम्मा दिया गया। उन्होंने इस किताब में राजनीति के अपने शुरुआती दिनों में खुद को उपेक्षित किए जाने का भी जिक्र किया है। अपनी जीवनी के बारे में सिन्हा ने ट्वीट किया कि
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