शरद पवार खेमे ने चुनाव आयोग से कहा है कि अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह की मांग "जल्दीबाजी" और "दुर्भावनापूर्ण" है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया है कि चुनाव आयोग में उनकी 'याचिका' एनसीपी के 2 गुट होने का कोई सबूत नहीं है. अजित पवार और उनके वफादार विधायकों ने पिछले महीने महाराष्ट्र में भाजपा-एकनाथ शिंदे गठबंधन से हाथ मिला लिया था और मंत्री पद की शपथ ली थी.
असली एनसीपी किसका?
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिव सेना गुट की तरह अजित पवार गुट की तरफ से भी दावा किया गया था कि वे असली एनसीपी हैं. क्योंकि उन्हें पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उनके नेतृत्व वाले गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था. अजित पवार गुट की तरफ से चुनाव आयोग को बताया गया था कि अजित पवार को 30 जून, 2023 के एक प्रस्ताव के माध्यम से एनसीपी का प्रमुख चुना गया है. जिस पर पार्टी सदस्यों के "भारी बहुमत" द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.
शरद पवार गुट की याचिका में क्या है?
शरद पवार गुट की याचिका की एक प्रति एनडीटीवी के हाथ लगी है जिसमें शरद पवार गुट की तरफ से कहा गया है कि अजित पवार प्रथम दृष्टया यह प्रदर्शित करने में भी सक्षम नहीं हैं कि एनसीपी में कोई विवाद मौजूद है. ईसीआई ने भी प्रथम दृष्टया यह निर्धारित नहीं किया है कि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और अजित पवार गुट में कोई विवाद है. 01.07.2023 से पहले, न तो अजित पवार ने शरद पवार/एनसीपी के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराई और न ही उन्होंने शरद पवार या एनसीपी के किसी अन्य नेता के साथ बैठक के लिए अनुरोध किया था.
क्या दोनों गुटों में हो जाएगा समझौता?
शरद पवार के कभी करीबी रहे प्रफुल्ल पटेल ने बार-बार मीडिया को बताया है कि मैं हमारी पार्टी के आंतरिक मामलों से संबंधित मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता...शरद पवार हमारे आदर्श बने हुए हैं और हम चाहते हैं कि वह हमारे द्वारा लिए गए राजनीतिक निर्णय को स्वीकार करें.हम उन्हें मना लेंगे.
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