स्मृति ईरानी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
क्या स्मृति ईरानी ने 2004 से 2014 के अलग-अलग हलफनामों में अपनी पढ़ाई-लिखाई को लेकर गलत जानकारी दी है? इसी मामले में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी अब कानूनी मुश्किलों में पड़ गई हैं। इस बारे में पटियाला हाउस अदालत अब सुनवाई के लिए तैयार हो गई है।
उनके खिलाफ शिकायत को कोर्ट ने सुनवाई योग्य माना है और 28 अगस्त की तारीख़ दी है। अब याचिकाकर्ता अहमद खान को कोर्ट में पेश होकर सबूत और दलील पेश करने होंगे। दरअसल शिकायत के मुताबिक अलग-अलग हलफ़नामों में स्मृति ईरानी ने अपनी शिक्षा को लेकर अलग-अलग जानकारियां दी हैं।
2004 के लोकसभा चुनावों में परचा भरते वक़्त बताया कि 1996 में उन्होंने डीयू से पत्राचार के ज़रिए बीए किया है। 2011 में राज्यसभा चुनावों में परचा भरते वक़्त बताया कि 1994 में डीयू के पत्राचार विद्यालय से बीकॉम पार्ट वन किया है। जबकि 2014 में अमेठी से लोकसभा चुनाव का पर्चा भरते हुए जानकारी दी कि डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से 1994 में उन्होंने बीकॉम पार्ट-वन किया है। लेकिन बीजेपी के वकील इस मामले को बेबुनियाद बता रहे हैं।
बीजेपी लीगल सेल के अनिल सोनी कहते हैं कि इस शिकायत में कोई दम नहीं है और कोर्ट को इस मामले को यहीं खत्म कर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 2011 और 2014 के हलफनामों में कोई गलत तथ्य नहीं है क्योंकि पहले पत्राचार विद्वालय को अब स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग कर दिया गया है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि 2004 के हलफनामे में गलती हुई है लेकिन इतने साल बाद उसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की बात ही नहीं है क्योंकि कोर्ट ने ईरानी को आरोपी बनाकर समन नहीं किया है। इसलिए अभी इंतजार ही करना होगा। इस मुद्दे पर अब अगली तारीख़ को शिकायतकर्ता को कोर्ट में तमाम सबूत दाखिल करने होंगे। अगर कोर्ट संतुष्ट हुआ तो स्मृति ईरानी को आरोपी बनाकर मुकदमा भी चलाया जा सकता है। और उसी वक्त ईरानी को अपना बचाव करने का मौका भी दिया जाएगा।
उनके खिलाफ शिकायत को कोर्ट ने सुनवाई योग्य माना है और 28 अगस्त की तारीख़ दी है। अब याचिकाकर्ता अहमद खान को कोर्ट में पेश होकर सबूत और दलील पेश करने होंगे। दरअसल शिकायत के मुताबिक अलग-अलग हलफ़नामों में स्मृति ईरानी ने अपनी शिक्षा को लेकर अलग-अलग जानकारियां दी हैं।
2004 के लोकसभा चुनावों में परचा भरते वक़्त बताया कि 1996 में उन्होंने डीयू से पत्राचार के ज़रिए बीए किया है। 2011 में राज्यसभा चुनावों में परचा भरते वक़्त बताया कि 1994 में डीयू के पत्राचार विद्यालय से बीकॉम पार्ट वन किया है। जबकि 2014 में अमेठी से लोकसभा चुनाव का पर्चा भरते हुए जानकारी दी कि डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से 1994 में उन्होंने बीकॉम पार्ट-वन किया है। लेकिन बीजेपी के वकील इस मामले को बेबुनियाद बता रहे हैं।
बीजेपी लीगल सेल के अनिल सोनी कहते हैं कि इस शिकायत में कोई दम नहीं है और कोर्ट को इस मामले को यहीं खत्म कर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 2011 और 2014 के हलफनामों में कोई गलत तथ्य नहीं है क्योंकि पहले पत्राचार विद्वालय को अब स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग कर दिया गया है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि 2004 के हलफनामे में गलती हुई है लेकिन इतने साल बाद उसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की बात ही नहीं है क्योंकि कोर्ट ने ईरानी को आरोपी बनाकर समन नहीं किया है। इसलिए अभी इंतजार ही करना होगा। इस मुद्दे पर अब अगली तारीख़ को शिकायतकर्ता को कोर्ट में तमाम सबूत दाखिल करने होंगे। अगर कोर्ट संतुष्ट हुआ तो स्मृति ईरानी को आरोपी बनाकर मुकदमा भी चलाया जा सकता है। और उसी वक्त ईरानी को अपना बचाव करने का मौका भी दिया जाएगा।
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