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This Article is From Aug 26, 2019

पी. चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट में तगड़ा झटका, सीबीआई कस्टडी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं की गई

आपको बता दें कि INX मीडिया मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की  तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई होनी थी. जस्टिस आर बानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना का पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. चिदंबरम ने सीबाआई की विशेष अदालत द्वारा दिए गए रिमांड को भी चुनौती दी थी.

पी. चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट में तगड़ा झटका, सीबीआई कस्टडी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं की गई
पी. चिदंबरम की हिरासत अवधि सोमवार को खत्म हो रही है
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को तगड़ा झटका लगा है. उनकी सीबीआई कस्टडी की चुनौती देने वाली याचिका को आज सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया गया है. जस्टिस बानुमति ने कहा कि हमने रजिस्ट्री को इसके लिए कहा है कि इस याचिका को चीफ जस्टिस के सामने रखे.  चिदंबरम की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में मेंशन किया कि दो याचिकाओं को साथ ये आज लिस्ट नहीं हुई है इस पर कोर्ट ने बताया कि चीफ जस्टिस ने इसके लिए आदेश जारी नहीं किया है. सिब्बल ने कहा कि इस याचिका को भी साथ ही लिस्ट किया जाए इस पर  कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के समय देखेंगे. 

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आपको बता दें कि INX मीडिया मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की  तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई होनी थी. जस्टिस आर बानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना का पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. चिदंबरम ने सीबाआई की विशेष अदालत द्वारा दिए गए रिमांड को भी चुनौती दी थी. इसके अलावा INX मीडिया मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई और ED मामले में अग्रिम जमानत याचिका को खारिज किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. शुक्रवार को कोर्ट ने ED मामले में चिदंबरम की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और सीबीआई व ED को जवाब दाखिल करने को कहा था. सोमवार माने आज ही उनकी सीबीआई हिरासत भी खत्म हो रही है.

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दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय ने हलफनामा दाखिल कर रहा है कि चिदंबरम ने अपने करीबी विश्वासपात्रों और सह साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर भारत और विदेश में शेल कंपनियों का जाल बनाया. ईडी के पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री, पूर्व गृहमंत्री हों या एक सामान्य नागरिक, अग्रिम जमानत मंजूर नहीं की जानी चाहिए और अगर शीर्ष अदालत आरोपी की याचिका पर विचार करती है तो यह न्याय का मखौल उड़ाना होगा.

  

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