धारवाड़ (कर्नाटक):
जाने-माने स्कॉलर डॉ एमएम कलबुर्गी की कर्नाटक स्थित उनके घर में ही गोली मारकर हत्या हुए तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक मामले में न कोई गिरफ्तारी हुई है, न पुलिस ने अब तक हत्या के मामलों में की जाने वाली ज़रूरी कार्रवाई ही शुरू की है।
पुलिस सूत्रों ने NDTV को बताया है कि हालांकि डॉ. कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी ने रविवार सुबह धारवाड़ स्थित उनके घर पर 'सर' से मिलने आए हत्यारों को देखा था, लेकिन पुलिस ने अब तक स्केच भी जारी नहीं किए हैं, जिनसे हत्यारों की पहचान में कोई मदद मिल सके।
इसके अलावा पुलिस ने अब तक उन हिन्दू-वादी संगठनों के लोगों से भी कोई पूछताछ नहीं की है, जिन्होंने पिछले साल जून में डॉ कलबुर्गी के विरोध में प्रदर्शन किया था।
ऐसा लगता है, पुलिस कुछ अन्य कामों में कुछ ज़्यादा व्यस्त है। जांच की अगुवाई कर रहे सबसे वरिष्ठ अधिकारियों को पानी को लेकर दो शहरों में हो रहे किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बंदोबस्त में लगाया गया है।
पिछले साल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विश्व हिन्दू परिषद द्वारा किए गए प्रदर्शनों के दौरान डॉ कलबुर्गी के पुतले जलाए गए थे, उनकी तस्वीर को जूतों के हार पहनाए गए थे, और उनके घर पर बोतलें फेंकी गई थीं। इसी तरह के प्रदर्शन राज्य भर में हुए थे, जो बजरंग दल और कुछ अन्य संगठनों ने किए, जो बीजेपी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेतृत्व में काम करते हैं।
डॉ कलबुर्गी की जान को खतरा महसूस कर उन्हें कम से कम तीन महीने के लिए पुलिस सुरक्षा भी दी गई थी, लेकिन बाद में उन्हीं के आग्रह पर सुरक्षा हटा ली गई थी।
स्थानीय बीजेपी नेता मोहन रामदुर्ग ने NDTV से बातचीत में पुष्टि की है कि धारवाड़ में निकाला गया जुलूस उनकी पार्टी ने आयोजित किया था। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने हत्या के सिलसिले में अब तक उनसे या उनके किसी भी सहयोगी से कोई पूछताछ नहीं की है।
बहरहाल, मंगलवार दोपहर को कर्नाटक सीआईडी (Karnataka Criminal Investigation Department) ने मामले की जांच स्थानीय पुलिस से अपने हाथ में ले ली है। पुलिस आयुक्त पीएच राणे ने NDTV को बताया कि हत्या की जांच के लिए कर्नाटक में तीन और महाराष्ट्र में एक टीम बनाई गई हैं। महाराष्ट्र में बनाई गई टीम नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की 2013 और 2015 में पुणे और कोल्हापुर में हुई हत्याओं की जांच करेगी। दरअसल, तीनों हत्याओं में हत्यारे सुबह के वक्त मोटर साइकिल पर सवार होकर आए, गोलियां चलाईं और फरार हो गए।
पुलिस सूत्रों ने NDTV को बताया है कि हालांकि डॉ. कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी ने रविवार सुबह धारवाड़ स्थित उनके घर पर 'सर' से मिलने आए हत्यारों को देखा था, लेकिन पुलिस ने अब तक स्केच भी जारी नहीं किए हैं, जिनसे हत्यारों की पहचान में कोई मदद मिल सके।
इसके अलावा पुलिस ने अब तक उन हिन्दू-वादी संगठनों के लोगों से भी कोई पूछताछ नहीं की है, जिन्होंने पिछले साल जून में डॉ कलबुर्गी के विरोध में प्रदर्शन किया था।
ऐसा लगता है, पुलिस कुछ अन्य कामों में कुछ ज़्यादा व्यस्त है। जांच की अगुवाई कर रहे सबसे वरिष्ठ अधिकारियों को पानी को लेकर दो शहरों में हो रहे किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बंदोबस्त में लगाया गया है।
पिछले साल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विश्व हिन्दू परिषद द्वारा किए गए प्रदर्शनों के दौरान डॉ कलबुर्गी के पुतले जलाए गए थे, उनकी तस्वीर को जूतों के हार पहनाए गए थे, और उनके घर पर बोतलें फेंकी गई थीं। इसी तरह के प्रदर्शन राज्य भर में हुए थे, जो बजरंग दल और कुछ अन्य संगठनों ने किए, जो बीजेपी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेतृत्व में काम करते हैं।
डॉ कलबुर्गी की जान को खतरा महसूस कर उन्हें कम से कम तीन महीने के लिए पुलिस सुरक्षा भी दी गई थी, लेकिन बाद में उन्हीं के आग्रह पर सुरक्षा हटा ली गई थी।
स्थानीय बीजेपी नेता मोहन रामदुर्ग ने NDTV से बातचीत में पुष्टि की है कि धारवाड़ में निकाला गया जुलूस उनकी पार्टी ने आयोजित किया था। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने हत्या के सिलसिले में अब तक उनसे या उनके किसी भी सहयोगी से कोई पूछताछ नहीं की है।
बहरहाल, मंगलवार दोपहर को कर्नाटक सीआईडी (Karnataka Criminal Investigation Department) ने मामले की जांच स्थानीय पुलिस से अपने हाथ में ले ली है। पुलिस आयुक्त पीएच राणे ने NDTV को बताया कि हत्या की जांच के लिए कर्नाटक में तीन और महाराष्ट्र में एक टीम बनाई गई हैं। महाराष्ट्र में बनाई गई टीम नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की 2013 और 2015 में पुणे और कोल्हापुर में हुई हत्याओं की जांच करेगी। दरअसल, तीनों हत्याओं में हत्यारे सुबह के वक्त मोटर साइकिल पर सवार होकर आए, गोलियां चलाईं और फरार हो गए।
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