नई दिल्ली:
देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार जेएनयू छात्र कन्हैया, उमर खालिद, एस आर गिलानी सहित सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि पहले वह AG का मत लाएं, उसके बाद याचिका पर सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका पर सुनवाई के लिए AG की अनुमति जरूरी है और कानून भी यही कहता है।
याचिका में कहा गया कि संसद में हमले के दोषी अफ़जल गुरु की फांसी को न्यायिक हत्या कहना कोर्ट की अवमानना है। अवमानना याचिका में कहा गया है कि जो कार्यक्रम हुआ था उसमें पर्चे बांटे गए थे कि अफ़जल की मौत न्यायिक हत्या है और नारे भी लगाये गए जिससे ये लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ही अफ़जल के हत्यारे हो। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अफ़जल के मामले में सभी पक्षों को सुनने और सबूतों के आधार पर फांसी की सज़ा सुनाई थी। कन्हैया, गिलानी के अलावा उमर ख़ालिद, लेनिन कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, शेहला राशिद और अली जावेद के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत करवाई की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया कि संसद में हमले के दोषी अफ़जल गुरु की फांसी को न्यायिक हत्या कहना कोर्ट की अवमानना है। अवमानना याचिका में कहा गया है कि जो कार्यक्रम हुआ था उसमें पर्चे बांटे गए थे कि अफ़जल की मौत न्यायिक हत्या है और नारे भी लगाये गए जिससे ये लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ही अफ़जल के हत्यारे हो। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अफ़जल के मामले में सभी पक्षों को सुनने और सबूतों के आधार पर फांसी की सज़ा सुनाई थी। कन्हैया, गिलानी के अलावा उमर ख़ालिद, लेनिन कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, शेहला राशिद और अली जावेद के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के तहत करवाई की मांग की गई है।
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