
सर्वोच्च न्यायालय ने आज राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतिम विस्तृत प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. जिसके अंतर्गत अजमेर शहर में दो स्वतंत्र वेटलैंड विकसित किए जाएंगे, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 22 हेक्टेयर होगा. ये वेटलैंड्स अना सागर झील के कैचमेंट क्षेत्र के बाहर प्रस्तावित किए गए हैं. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने “अशोक मलिक बनाम राज्य सरकार” मामले में यह आदेश पारित किया. जिसमें राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अना सागर झील के चारों ओर बने सेवन वंडर्स, फूड कोर्ट और गांधी स्मृति उद्यान/आज़ाद पार्क जैसी हरित क्षेत्रों में किए गए निर्माणों के विध्वंस का निर्देश दिया था.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह प्रस्तुत किया कि अना सागर झील के चारों ओर बनाए गए पाथवे आवश्यक हैं और गांधी स्मृति उद्यान वेटलैंड क्षेत्र में आता ही नहीं है. अतः उसे तोड़े जाने का आदेश न दिया जाए, जिसका कुल क्षेत्र लगभग 4.9 हेक्टेयर है. हालांकि, राज्य सरकार ने यह सहमति दी कि फूड कोर्ट को ध्वस्त किया जा चुका है और सेवन वंडर्स को 17.09.2025 तक, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए समयानुसार, ध्वस्त कर दिया जाएगा.
इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने 10.05.2025 को राज्य सरकार द्वारा दायर अनुपालन हलफनामे को स्वीकार किया, जो सिविल अपील संख्या 7607/2023 (राज्य सरकार बनाम अशोक मलिक एवं अन्य) के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया था. कोर्ट ने नगर निगम अजमेर द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उसे भी स्वीकार कर लिया, जिसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में वैज्ञानिक पर्यावरणीय मूल्यांकन हेतु नियुक्त किया गया था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा राज्य सरकार की ओर से उपस्थित हुए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिनांक 07.04.2025 के आदेश के माध्यम से राज्य सरकार को निर्देशित किया था कि वह सेवन वंडर्स ढांचों को हटाने व स्थानांतरित करने की कार्यवाही का विवरण देने वाला हलफनामा दाखिल करे और साथ ही अजमेर में नए वेटलैंड के निर्माण हेतु एक विस्तृत प्रस्ताव भी प्रस्तुत करे.
जिसकी पालना में कलेक्टर अजमेर ने शपथ पत्र दाखिल किया और नीरी की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया था. इस आदेश के अनुपालन में, NEERI और CSIR की बहुविषयी टीमों ने अध्ययन के हिस्से के रूप में तीन विस्तृत फील्ड विज़िट की. इन टीमों में वेटलैंड पारिस्थितिकी, जल गुणवत्ता प्रबंधन, हाइड्रोलॉजी, जैव विविधता, रिमोट सेंसिंग, GIS और शहरी जल निकाय पुनरुद्धार के विशेषज्ञ शामिल थे. निरीक्षण जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर किया गया.
NEERI रिपोर्ट के अनुसार, साइट 3 (कबीर जी बस्ती) वेटलैंड विकास के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई. इसके स्थान पर दो वैकल्पिक स्थल निर्धारित किए गए:
• हाथीखेड़ा (फॉयसागर) स्थल, और
• टबीजी-2 स्थल, IOCL डिपो के निकट।
ये दोनों स्थल अब राज्य सरकार के वेटलैंड विकास प्रस्ताव का हिस्सा हैं.
NEERI की अंतिम सिफारिशों में खुदाई और संबंधित सिविल कार्य, देशी प्रजातियों का रोपण, जल और तलछट गुणवत्ता की नियमित निगरानी, और जैव विविधता का पूर्व एवं पश्चात् मानसून दो ऋतुओं में मूल्यांकन शामिल हैं. NEERI के अनुसार, इन गतिविधियों को सफलतापूर्वक संपन्न करने और दीर्घकालिक पारिस्थितिकीय स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु 18 से 24 माह का समय आवश्यक होगा.
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