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संचार साथी क्या वाकई जासूसी ऐप है, सरकार की सफाई से संतुष्ट नहीं विपक्ष, उठाए सवाल

संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बताया कि संचार साथी ऐप को लेकर सरकार ने मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों के साथ एक वर्किंग ग्रुप से चर्चा की थी. हालांकि आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल इसमें शामिल नहीं हुई थी.

संचार साथी क्या वाकई जासूसी ऐप है, सरकार की सफाई से संतुष्ट नहीं विपक्ष, उठाए सवाल
  • भारत में सभी मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप इंस्टॉल करने के सरकार के फैसले पर विवाद हो गया है
  • AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने इस ऐप को जासूसी का जरिया बताते हुए निजता में दखल का आरोप लगाया है
  • संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि ऐप अन्य ऐप की तरह है, यूजर इसे डिलीट भी कर सकते हैं
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संचार साथी मोबाइल ऐप को लेकर इस वक्त सियासी घमासान मचा हुआ है. सरकार जहां बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड का हवाला देकर सभी फोन पर यह ऐप प्री-इंस्टॉल कराना चाहती है, वहीं विपक्षी दल इसे 'जासूसी ऐप' करार देकर नागरिकों की निजता में दखल का आरोप लगा रहे हैं. सरकार की सफाई के बावजूद विपक्षी नेता हमलावर हैं. अब AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की है. 

ओवैसी ने ऐप पर उठाए सवाल

ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सरकार पर संचार साथी ऐप के जरिए नागरिकों की प्राइवेसी खत्म करने और उन्हें खतरे में डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इसी वजह से सरकार इसके सर्कुलर को सार्वजनिक नहीं कर रही है. उन्होंने आशंका जताई कि ऐप को अनिवार्य बनाने और अनइंस्टॉल करने की इजाजत न देने से हमारी डिवाइस सरकारी जासूसी का साधन बन सकती है. 

आरोप निराधार, बोले संचार राज्य मंत्री

उधर संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने भी दावा किया कि संचार साथी दूसरे ऐप की तरह ही है, जिसे यूजर अपने फोन पर एक्टिव कर सकते हैं या डिलीट कर सकते हैं. इसे अनिवार्य रूप से इंस्टॉल कराने के पीछे सरकार का मकसद ऑनलाइन धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग और खोए हुए मोबाइल फोन का पता लगाना है.

एप्पल छोड़कर बाकी कंपनियों से बात

संचार राज्य मंत्री ने बताया कि संचार साथी ऐप को लेकर सरकार ने मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों के साथ एक वर्किंग ग्रुप से चर्चा की थी. हालांकि आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल इसमें शामिल नहीं हुई थी. मंत्री ने बताया कि सरकार ने कंपनियों से अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए कहा था. उद्योग सूत्रों का कहना है कि एप्पल अपने आईफोन में इस ऐप को इंस्टॉल करने के मुद्दे पर सरकार से बात करेगी और कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करेगी. 

संचार मंत्री ने भी दी है सफाई 

इससे पहले, संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद भवन के बाहर पत्रकारों से कहा कि उपभोक्ता चाहें तो इस ऐप को मोबाइल से अनइंस्टॉल कर सकते हैं और रजिस्ट्रेशन न किए जाने तक यह सक्रिय नहीं होगा. सरकार का उद्देश्य लोगों को धोखाधड़ी और मोबाइल चोरी की घटनाओं से बचाने के लिए उपलब्ध साधनों की जानकारी देना है.

लोगों की आवाज दबाने की कोशिशः कांग्रेस 

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संचार साथी ऐप को लोगों की आवाज का गला घोंटने की एक और कोशिश करार दिया. उनका कहना था कि बिना किसी को विश्वास में लिए बिना इस ऐप को प्रीलोड करने का सरकार का एकतरफा निर्देश तानाशाही के समान है. सरकार यह क्यों जानना चाहती है कि नागरिक अपने परिवार और दोस्तों के साथ क्या बात करते हैं?
 

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