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महाराष्ट्र तक पहुंची इंडिया गठबंधन की खटपट, अखिलेश यादव-राहुल गांधी की दोस्ती का क्या होगा

ऐसा लग रहा है कि विपक्षी इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसे इस गठबंधन में शामिल दलों के बयानों से समझा जा सकता है. सपा के एक नेता ने तो महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से अलग होने की घोषणा कर दी है. ममता बनर्जी पहले से ही कांग्रेस से अलग राह पकड़े हुए हैं.

महाराष्ट्र तक पहुंची इंडिया गठबंधन की खटपट, अखिलेश यादव-राहुल गांधी की दोस्ती का क्या होगा
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे नवंबर के अंतिम दिनों में आए. दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टियां फिर चुनाव जीतने में सफल रहीं.झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की. वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना और एनसीपी की महायुति ने शानदार जीतकर सरकार बनाई. महाराष्ट्र में महायुति को मिली इस जीत के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन में खटपट शुरू हो गई. टिकट बंटवारे से नाराज सपा के प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी ने कहा है कि उनकी पार्टी अब विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी का हिस्सा नहीं है. वहीं दिल्ली में सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि राहुल गांधी इंडिया गठबंधन के नेता नहीं हैं. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पहले से ही कांग्रेस के खिलाफ मुखर हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इंडिया गठबंधन में सब ठीक चल रहा है या सपा-कांग्रेस की दोस्ती टूटने वाली है. 

अबु आजमी ने कहा क्या है

समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र ईकाई के प्रमुख अबू आजमी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की ओर लौटने के संकेत दिए हैं.इसलिए सपा अब महाविकास अघाड़ी में रहना मुश्किल है.कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी चाहे जो करें लेकिन समाजवादी पार्टी महाविकास अघाड़ी में नहीं रहेगी. आजमी ने कहा है कि उन्होंने अपनी राय से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अवगत करा दिया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि सपा प्रमुख महाविकास अघाड़ी से अलग होने के उनके फैसले से सहमत होंगे. वहीं सपा नेता के इस बयान पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने प्रतिक्रिया देते हुए सपा को महाराष्ट्र में बीजेपी का एजेंट तक बता दिया.

अबु आजमी के इस बयान से लगा कि सपा का अब इंडिया गठबंधन में जी नहीं लग रहा है. रही सही कसर सपा महासचिव और राज्य सभा सांसद रामगोपाल यादव ने पूरी कर दी. उन्होंने रविवार को कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी नहीं है बल्कि मल्लिकार्जुन खरगे है.सपा ने संसद में भी विपक्षी इंडिया गठबंधन से दूरी बना ली है. यह सोमवार को संसद परिसर में उस समय नजर आया जब विपक्षी सांसद वहां प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस और सपा के सांसद शामिल नहीं थे. 

सपा में कौन लेगा फैसला

इस संबंध में सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने 'एनडीटीवी' से कहा कि उत्तर प्रदेश हो या महाराष्ट्र या देश का कोई और हिस्सा उनकी पार्टी अभी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि कोई भी बड़ा फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लेंगे. उन्होंने कहा कि अबु आजमी का बयान स्थानीय स्थिति को देखते हुए है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सपा इंडिया गठबंधन से अलग हो गई है. चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हाल में हुए उपचुनाव में सपा ने कांग्रेस को दो सीटें- गाजियाबाद और खैर देने की पेशकश की. लेकिन कांग्रेस उपचुनाव लड़ने की जगह सपा को समर्थन देने का फैसला किया. कांग्रेस के लोगों ने सपा उम्मीदवारों को समर्थन किया भी था. 

विपक्षी गठबंधन में सपा की नाराजगी नई नहीं है. महाराष्ट्र चुनाव में सपा ने विपक्षी महाविकास अघाड़ी से 12 सीटों की मांग की थी. बाद में उसकी मांग पांच सीटों तक आ गई थी. लेकिन गठबंधन ने उसके लिए केवल मानखुर्द शिवाजी नगर और भिवंडी ईस्ट सीटें ही छोड़ी गईं. ये दोनों वहीं सीटें हैं, जहां से सपा के उम्मीदवार पिछले चुनाव में भी जीते थे. इसके अलावा सपा नेता  फहाद अहमद को शरद पवार की एनसीपी ने टिकट दिया.लेकिन वो चुनाव नहीं जीत सके. सीट बंटवारे को लेकर सपा का कांग्रेस से उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में भी कोई समझौता नहीं हो पाया था.सपा ने कांग्रेस को दो सीटें- गाजियाबाद और खैर की पेशकश की थी. लेकिन कांग्रेस और दूसरी सीटों की मांग पर अड़ी रही. और अंत में उसने चुनाव न लड़ने का फैसला किया. कांग्रेस ने कहा कि वो सभी नौ सीटों पर सपा उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. सपा उपचुनाव में दो सीटें जीतने में कामयाब रही.

तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस पर क्या आरोप लगाए हैं

ऐसा नहीं है कि विपक्षी गठबंधन में केवल महाराष्ट्र में ही फूट पड़ी है. विपक्षी इंडिया गठबंधन में तीसरे नंबर की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की कांग्रेस से पहले से ही अनबन चल रही है. अडानी के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही बाधित करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने अपनी राहें कांग्रेस से अलग कर ली हैं. अब उसके सांसद कांग्रेस के नेतृत्व में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में शामिल नहीं हो रहे हैं. वहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जताई है. उनका कहना है कि कांग्रेस कभी भी सीधी लड़ाई में बीजेपी को नहीं हरा पाएगी, जबकि टीएमसी ने उसे हराया है. तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि ममता बनर्जी दिल्ली में कोई पद नहीं चाहती हैं,लेकिन वो कोलकाता में रहकर इंडिया गठबंधन का नेतृ्त्व कर सकती हैं.ममता बनर्जी की इस इच्छा को सपा का समर्थन मिला है. इंडिया गठबंधन के बाकी दलों ने भी ममता के खिलाफ कुछ नहीं कहा है. 

केवल चुनाव में सीट शेयरिंग पर नहीं बल्कि सदन में सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर भी सपा-कांग्रेस में मतभेद है.लोकसभा में हाल में हुई सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर सपा कांग्रेस से नाखुश है. उसका आरोप है कि कांग्रेस अपने साथियों का ध्यान नहीं रखती है. दरअसल लोकसभा की पहली पंक्ति में सपा को केवल एक सीट ही मिली है. पहले उसके पास दो सीटें थीं. इसके बाद से केवल अखिलेश यादव ही पहली पंक्ति में बैठ रहे हैं. इससे अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच की दूरी बढ़ गई है. अखिलेश छठे ब्लॉक की पहली पंक्ति में बैठते हैं तो राहुल आंठवें ब्लॉक की पहली पंक्ति में. राहुल अखिलेश को अपने पास बुलाते तो हैं लेकिन अखिलेश यादव उनके पास जा नहीं रहे हैं. दरअसल सपा को इस बात की आपत्ति है कि जब सपा की अगली पंक्ति से एक सीट घटाई गई तो कांग्रेस ने आपत्ति क्यों नहीं जताई. कांग्रेस ने सपा के लिए एक और सीट आवंटित करने की मांग क्यों नहीं की. अब आने वाला समय बताएगा कि विपक्षी दलों में आई यह दूरी घटती है या बढ़ती है. 

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