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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ जुड़ने में भारत की पड़ोस नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने वाला है. यह मोड़ भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय (आईएमटीटी) राजमार्ग के पूरा होने से आएगा, जो वर्तमान में म्यांमार में आंतरिक संघर्ष के कारण चुनौती का सामना कर रहा है. जयशंकर ने कहा कि भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, चाहे वह बांग्लादेश, भूटान, नेपाल या म्यांमार में हो. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान पड़ोसी देशों को टीके भेजे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुवाहाटी में एडवांटेज असम शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत और आसियान के बीच संबंधों में लगातार वृद्धि और गहराई हो रही है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी पक्षों को आगे बढ़कर लाभ उठाना चाहिए. यह बयान 'एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट एंड एक्ट फर्स्ट' विषय पर एक सत्र में दिया गया था.
Pleased to address Advantage Assam Summit 2.0 in Guwahati alongside CM @himantabiswa, Ambassadors and delegates.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 25, 2025
Spoke about Modi Government's commitment to ‘Act East, Act Fast and Act First'.
Highlighted:
➡️ Act East starts with a change of approach by Delhi towards Assam… https://t.co/uZyWtrtkba pic.twitter.com/P1Kj1hoFac
जयशंकर ने कहा कि इस परियोजना की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक समाधान ढूंढने होंगे. यह बयान आईएमटीटी राजमार्ग परियोजना के महत्व और म्यांमार में वर्तमान स्थिति के बावजूद इसे पूरा करने की आवश्यकता पर जोर देता है.
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय (आईएमटीटी) राजमार्ग परियोजना ने जुलाई 2023 तक लगभग 70 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा कर लिया है. यह 1,400 किलोमीटर लंबा राजमार्ग भारत को दक्षिण पूर्व एशिया से जमीन के जरिए जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. आईएमटीटी राजमार्ग तीनों देशों के बीच व्यापार, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन संबंधों को बढ़ावा देगा.
त्रिपक्षीय राजमार्ग के पूरा होने और संचालन के लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है. रणनीतिक राजमार्ग परियोजना में कई बार देरी हो चुकी है. पहले सरकार का लक्ष्य दिसंबर 2019 तक हाईवे को चालू करने का था. 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति अपने निकटतम पड़ोस के देशों के साथ भारत के संबंधों के प्रबंधन का मार्गदर्शन करती ह.। जयशंकर ने कहा, "हमने नई सड़कें, चौकियां, रेल लिंक, जलमार्ग, पावर ग्रिड, ईंधन पाइपलाइन और परिवहन सुविधाएं देखी हैं. आने वाले वर्षों में और भी बहुत कुछ आना बाकी है.
जयशंकर ने कहा कि जापान और दक्षिण कोरिया दोनों भारत में कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण आर्थिक खिलाड़ी बनकर उभरे हैं. जापान ने पूर्वोत्तर में विभिन्न क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है, विशेषकर गतिशीलता और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ाने में.
मलेशिया और थाईलैंड ने भारतीयों के लिए वीजा को उदार बनाया है और अन्य आसियान सदस्यों ने हवाई कनेक्टिविटी का विस्तार किया है, जबकि शिक्षा और कौशल विकास भी भविष्य के सहयोग के डोमेन हो सकते हैं.
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