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जब बड़े-बड़ों की कर दी थी बोलती बंद! पीएम मोदी के 'मिसाइल' यूं ही नहीं है एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हमेशा से ही अपने बयान से विरोधियों को करारा जवाब दिया है. चाहे बात आतंकवाद की हो या फिर चीन को एलओसी पर जवाब देने की, वो हमेशा से ही अपने तर्कों से सभी को पटखनी देते नजर आए हैं.

जब बड़े-बड़ों की कर दी थी बोलती बंद! पीएम मोदी के 'मिसाइल' यूं ही नहीं है एस जयशंकर
एस जयशंकर ने हमेशा से ही अपने बयानों से दुनिया के देशों को चुप कराया है
नई दिल्ली:

देश के विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर का आज (9 जनवरी) जन्मदिन है.एस जयशंकर आज 70 साल के हो गए हैं. विदेश मंत्री रहते हुए उनके द्वारा की गई टिप्पणियां काफी चर्चाओं में रही हैं. चाहे बात आतंकवाद की हो या फिर चीन को सुनाने की या फिर अमेरिका को अपने बयान से चौकाने की. एस जयशंकर हमेशा से ही अपने बयानों को लेकर सूर्खियों में रहे हैं. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम अलग-अलग विषयों पर उनके कुछ चर्चित बयान आपसे साझा करने जा रहे हैं. 

आतंकवाद पर क्या बोले थे एस जयशंकर 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले साल कहा था कि मुंबई भारत और दुनिया के लिए आतंकवाद विरोध का प्रतीक है. जब भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य था तब भी वह आतंकवाद निरोधक समिति की अध्यक्षता कर रहा था. एस जयशंकर ने कहा था कि हमने आतंकवाद निरोधक समिति की बैठक उसी होटल में की थी, जिस पर आतंकी हमला हुआ था. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ समय पहले कहा था कि हम आतंकवाद को उजागर करेंगे और जहां हमें कार्रवाई करनी होगी, हम कार्रवाई भी करेंगे. 

लोग जानते हैं कि भारत आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा है. हम आज आतंकवाद से लड़ने में अग्रणी हैं. जब हम आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की बात करते हैं, तो यह स्पष्ट है कि जब कोई कुछ करता है तो उसका जवाब दिया जाएगा. 

एस जयशंकर, विदेश मंत्री


अपने जवाब से जब अमेरिका को भी कर दिया था हैरान

पिछले साल अक्टूबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के टॉप थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडीमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' के दौरान भारत को लेकर किए गए सवाल का दो टूक जवाब दिया था. उन्होंने कहा था कि कमेंट करने का पूरा अधिकार है लेकिन मुझे भी आपके कमेंट पर कमेंट करने का पूरा अधिकार है. अगर मैं ऐसा करूं तो बुरा मत मानना. 

एक तो सच्चाई है और दूसरा सच्चाई से निपटना है. सच्चाई ये है कि दुनिया बहुत ग्लोबलाइज्ड है. ऐसे में यह जरूरी नहीं है कि राजनीति को देश की राष्ट्रीय सीमाओं के अंदर ही किया जाए. 

एस जयशंकर, विदेश मंत्री

पाक की जमीं से ही जब उसे सुनाई खरी-खरी

मौका था शंघाई सहयोग संगठन में हिस्सा लेने का. विदेश मंत्री एस जयशंकर हिस्सा लेने पाकिस्तान गए हुए थे. बैठक के दौरान जब एस जयशंकर के संबोधन की बारी आई तो विदेश मंत्री ने बगैर देरी किए पाकिस्तान और चीन को एक साथ सुना दिया. उन्होंने उस दौरान कहा था कि सहयोग आपसी सम्मान, संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए. SCO को कोशिश करनी चाहिए कि वह वैश्विक संस्थाएं रिफॉर्म्स के साथ कदम से कदम मिलाकर चले. इसकी कोशिश भी होनी चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भागीदारी बढ़ाई जाए. SCO के सदस्य देशों को तीन बुराइयों का दृढ़ता के साथ मुकाबला करना चाहिए. मौजूदा समय में ये और भी जरूरी हो जाता है. इसके लिए ईमानदार बातचीत, विश्वास, अच्छे पड़ोसी और एससीओ चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है.  

SCO के सदस्य देशों को ये समझने की जरूरत है कि आज की तरीख में आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.आतंकवाद का खात्मा जरूरी है. बगैर आतंकवाद को खत्म किए कोई भी देश विकास की कल्पना नहीं कर सकता.  


ब्रिक्स के सवाल पर जब एय जयशंकर ने कही थी दो टूक 

12 सितंबर 2024 को एस जयशंकर स्विटजरलैंड के जेनेवा में ग्लोबल सेंटर फोर सिक्योरिटी पॉलिसी के कार्यक्रम में शिरकत की थी. इसी दौरान विदेश मंत्री से ब्रिक्स की जरूरत पर सवाल पूछा गया था. उनसे पूछा गया था कि ब्रिक्स क्लब क्यों बना है और इसके विस्तार पर आप क्या सोचते हैं? इस सवाल के जवाब में एस जयशंकर ने कहा था कि ईमानदारी से कहूं तो ब्रिक्स क्लब इसलिए बना क्योंकि जी-7 नाम का एक क्लब पहले से था. आप उस क्लब में किसी को घुसने नहीं देते थे. तो हमने कहा कि हम अपना क्लब खुद बनाएंगे. 

हम अच्छे खासे देश के अच्छे नागरिक हैं. जिनकी वैश्विक समाज में अपनी जगह है. ऐसे ही क्लब (समूह) बनते हैं.ऐसे ही ये शुरू हुआ. दूसरे क्लब की ही तरह वक्त के साथ ये खड़ा हुआ. दूसरों को भी इसकी अहमियत समझ में आई. ये एक दिलचस्प समूह है.

एस जयशंकर, विदेश मंत्री


चीन को भी इशारों-इशारों में दिया था संदेश 

एस जयशंकर ने समय-समय पर चीन को लेकर भी कई बड़े बयान दिए हैं. उन्होंने पिछले साल बीजिंग को साफ शब्दों संदेश देते हुए कहा था कि अगर संबंधों को आगे बढ़ाना है तो उसे शांति स्थापित करनी होगी. चीन के साथ हमारा कठिन इतिहास रहा है. हमारे और चीन के बीच सीमा को लेकर कई समझौते हैं. 2020 में चीन ने एलएसी पर समझौते का उल्लंघन किया और हमने जवाब दिया.

जब तक शांति और सद्भाव स्थापित नहीं करते हैं तब तक संबंधों को आगे बढ़ाना कठिन होगा. भारत और चीन संबंध एशिया के भविष्य की चाबी है. अगर दुनिया बहुध्रुवीय होगी तो एशिया को भी बहुधुव्रीय होना होगा. ये संबंध एशिया और विश्व के भविष्य को प्रभावित करेगा. 

एस जयशंकर, विदेश मंत्री

जब कनाडा को सुनाई थी दो टूक

कनाडा से खराब होते रिश्तों के बीच पिछले साल एस जयशंकर ने कनाडा को दो टूक जवाब दिया था. उन्होंने उस दौरान कहा था कि कनाडा ने बिना जानकारी दिए आरोप लगाने का एक पैटर्न डेवलप कर लिया है. इंडियन डिप्लोमैट्स पर निगरानी रखी जा रही है, जो अस्वीकार्य है. कनाडा में चरमपंथी ताकतों को पॉलिटिकल स्पेस दिया जा रहा है. 

जब-जब राष्ट्रीय हित, अखंडता और संप्रभुता की बात आएगी तब-तब भारत कठोर कदम उठाएगा. कनाडाई सरकार ने हमारे उच्चायुक्त और राजनयिकों को टारगेट बनाया, जिसको लेकर हमने उचित जवाब दिया है.

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