दिल्ली में रोहिंग्या मुसलमानों को फ्लैट देने के मामले पर मचा बवाल, BJP-AAP आमने-सामने

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में ज्यादातर रोहिंग्या शरणार्थी मदनपुर खादर के कंचन कुंज इलाके में रह रहे हैं. केंद्र चाहता है कि इसे डिटेंशन सेंटर घोषित किया जाए ताकि रोहिंग्याओं की आवाजाही पर नजर रखी जा सके.

खास बातें

  • रोहिंग्या को फ्लैट में स्थानांतरित करने से मंत्रालय का इनकार
  • रोहिंग्या शरणार्थी कंचन कुंज इलाके में रह रहे हैं
  • कॉलोनी में लगभग 250 परिवार रहते हैं
दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रोहिंग्या शरणार्थियों को घर और सुरक्षा देने की घोषणा की थी. हालांकि बाद में केंद्र सरकार  ने इस घोषणा का खंडन किया था. वहीं अब इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच जंग शुरू हो गई है. दरअसल दिल्ली सरकार ने केंद्र पर राष्ट्रीय राजधानी में रोहिंग्या शरणार्थियों को "स्थायी निवास" देने की "गुप्त रूप से" कोशिश करने का आरोप लगाया है. इस मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पुरी के ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा, "केंद्र, जो सुबह इस खबर को अपनी उपलब्धि के रूप में सूचीबद्ध करते नहीं थक रही थी, अब आप के विरोध के बाद दिल्ली सरकार पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रही है. जबकि यह सच है कि केंद्र सरकार गुपचुप तरीके से रोहिंग्याओं को दिल्ली में स्थायी निवास देने की कोशिश कर रही थी."

वहीं इस मामले में आप को घेरते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि सभी अवैध विदेशियों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में दिल्ली सरकार इसे डिटेंशन सेंटर घोषित करने में विफल रही है. गृह मंत्रालय ने ट्विटर पर एक बयान में कहा, ‘‘अवैध विदेशियों को उनके देश वापस भेजे जाने तक कानून के अनुसार निरुद्ध केंद्र में रखा जाना है. दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थान को निरुद्ध केंद्र घोषित नहीं किया है. उसे तुरंत ऐसा करने का निर्देश दिया गया है.'

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गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में ज्यादातर रोहिंग्या शरणार्थी मदनपुर खादर के कंचन कुंज इलाके में रह रहे हैं. केंद्र चाहता है कि इसे डिटेंशन सेंटर घोषित किया जाए ताकि रोहिंग्याओं की आवाजाही पर नजर रखी जा सके. कॉलोनी में लगभग 250 परिवार रहते हैं, जिसमें कुल 1,100 निवासी हैं.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अभी तक, वे स्वतंत्र रूप से घूमते हैं और कई लोग गायब हो जाते हैं, लेकिन अगर इस इलाके को डिटेंशन सेंटर घोषित कर दिया जाता है, तो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भी उन पर नजर रखना आसान हो जाएगा." शिविर के भीतर उनकी आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन दिल्ली पुलिस के लिए उनका सत्यापन करना आसान होगा.

क्या है पूरा मामला

दिल्ली में रोहिंग्या मुस्लिम को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए निर्मित फ्लैट में भेजने के किसी कदम से गृह मंत्रालय के इनकार करने के बाद केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा था कि उसका (गृह मंत्रालय का) बयान सही स्थिति को बताता है. हालांकि इससे पहले, दिन में पुरी ने एक ट्वीट में कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थियों को बाहरी दिल्ली में स्थित बक्करवाला के अपार्टमेंट में भेजा जाएगा और उन्हें मूलभूत सुविधाएं तथा पुलिस सुरक्षा भी मुहैया की जाएगी.

बाद में, गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अवैध विदेशी रोहिंग्याओं के संबंध में मीडिया के कुछ वर्गों में आये समाचार के संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट प्रदान करने का कोई निर्देश नहीं दिया है. साथ ही, अरविंद केजरीवाल सरकार से अवैध विदेशियों को उनके मौजूदा स्थान पर ही रखा जाना सुनिश्चित करने को कहा जाता है.''

पुरी ने गृह मंत्रालय के बयान की एक प्रति के साथ ट्वीट किया, ‘‘रोहिंग्या अवैध विदेशियों के मुद्दे के संबंध में गृह मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति सही स्थिति को बताता है.'' (भाषा इनपुट के साथ)

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