RSS के विजयादशमी समारोह में पहली बार महिला अतिथि, पर्वतारोही संतोष यादव बनीं चीफ गेस्ट

संतोष यादव ने माउंट एवरेस्ट पर पहली बार मई 1992 में यह चढ़ाई की और फिर मई 1993 में इतिहास दोहराया था. वह कांगसुंग की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला भी हैं.

RSS के विजयादशमी समारोह में पहली बार महिला अतिथि, पर्वतारोही संतोष यादव बनीं चीफ गेस्ट

विजयादशमी कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख के साथ पर्वतारोही संतोष यादव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने बुधवार को नागपुर हेडक्वॉर्टर में विजयादशमी (Vijayadashmi) मनाई. यहां शस्त्र पूजा के दौरान पहली बार किसी महिला को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया. दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली दुनिया की एक मात्र महिला पर्वतारोही संतोष यादव (Mountaineer Santosh Yadav) राष्ट्रीय स्वयंसेवक के शस्त्र पूजा (RSS Weapon Worship) कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थीं. संतोष यादव ने पहली बार मई 1992 में यह चढ़ाई की और फिर मई 1993 में इतिहास दोहराया था. यह एक बड़ा विश्व रिकॉर्ड है. इसके अलावा कांगसुंग की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला भी हैं.आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कार्यक्रम की शुरुआत की. संघ के दशहरा समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे.

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में एक बार फिर जनसंख्या, मंदिर, जातिवाद जैसे मुद्दों का जिक्र किया. भागवत ने कहा- 'बढ़ती हुई आबादी में हम धार्मिक असंतुलन को नजरंदाज नहीं कर सकते. मोहन भागवत ने आगे कहा, 'जनसंख्या जितनी अधिक होगी बोझ उतना ही ज्यादा होगा. हमको यह देखना होगा कि हमारा देश 50 साल के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है. इसलिए जनसंख्या की एक पॉलिसी बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो.' आरएसस प्रमुख ने कहा, 'धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन ऐसा विषय है, जिसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है. जन्म दर में अंतर और लालच या घुसपैठ की वजह से होने वाले धर्मांतरण भी बड़ी समस्या है.'

महिलाओं को हर जगह मिले समान अधिकार
मोहन भागवत ने इसके साथ ही सभी जगहों पर महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने कहा, 'महिलाओं को मां का दर्जा देना अच्छा है, लेकिन उनपर पाबंदियां लगाकर घर के दरवाजे के पीछे रखना अच्छा नहीं हो सकता. हमें महिलाओं को कहीं भी फैसले लेने के लिए समान अधिकार दिए जाने की जरूरत है. जो काम महिलाएं या मातृ शक्ति कर सकती हैं, वो हम पुरुष नहीं कर सकते. मातृ शक्ति के पास इतनी शक्ति होती है. इसलिए हमें उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है. हमें महिलाओं को काम करने और समान सहयोग के अवसर देने की आवश्यकता है.'

शक्ति ही शांति का आधार
विजयादशमी पर आरएसएस प्रमुख ने एक और बड़ी बात कही. उन्होंने कहा, 'शक्ति ही शांति का आधार है. आज आत्मनिर्भर भारत की आहट हो रही है. विश्व में भारत की बात सुनी जा रही है. आत्मा से ही आत्मनिर्भरता आती है. विश्व में हमारी प्रतिष्ठा और साख बढ़ी है. जिस तरह से हमने श्रीलंका की मदद की. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान हमारे रुख से पता चलता है कि हमें सुना जा रहा है.'

मातृभाषा को प्रोत्साहित करना जरूरी
शिक्षा में मातृभाषा की अहमियत बताते हुए संघ प्रमुख ने कहा, 'अंग्रेजी एक ऐसी भाषा है, जो करियर के लिए जरूरी नहीं है.' भागवत ने कहा, 'अंग्रेजी करियर के लिए जरूरी नहीं है. करियर तो किसी भी क्षेत्र में बनाया जा सकता है. सरकार नई शिक्षा नीति के जरिए इस ओर ध्यान दे रही है. लेकिन क्या अभिभावक अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाना चाहते हैं? या फिर वे आर्थिक फायदे वाले करियर के पीछे जाएंगे? क्या वे चाहते हैं कि उनके बच्चे इस रेस में भागते रहे? आपको इसपर विचार करने की जरूरत है.'

बता दें कि आरएसएस के लिए विजयादशमी का समारोह काफी महत्वपूर्ण है. साल 1925 में केशव बलीराम हेडगेवार ने दशहरे के दिन ही संघ की स्थापना की थी. बीते साल कोरोना महामारी की वजह से आरएसएस का विजयादशमी समारोह बहुत सीमित तरीके से आयोजित हुआ था.

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