लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) होने में 100 से कम दिन बाकी हैं. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस बार चुनाव में 370 सीटें जीतने का टारगेट रखा है. BJP और उसके सहयोगी दलों के गठबंधन NDA पीएम के इस लक्ष्य को पूरा करने में जोर-शोर से लगे हैं. दूसरी ओर, मोदी के विजय रथ को रोकने के मकसद से बने विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन (INDIA Alliance) को एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं. BJP अपने NDA कुनबे की ताकत बढ़ाने के लिए छोटे दलों को भी अपने साथ जोड़ रही है. पूर्व पीएम चौधरी चरण (Chaudhary Charan Singh)सिंह को 'भारत रत्न' (Bharat Ratna)देने के ऐलान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
कहते हैं लोकसभा का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है. यानी जिसने यूपी में मैक्सिमम सीटें जीत लीं, दिल्ली में उसी की सरकार बनेगी. उत्तर प्रदेश में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए BJP, राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal-RLD) के नेता जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary)के साथ बातचीत कर रही थी. जयंत चौधरी यूपी में पहले से ही अखिलेश यादव की पार्टी सपा के साथ गठबंधन में हैं. दोनों के बीच सीटों को लेकर पहले ही डील हो चुकी है. लेकिन NDA में शामिल होने के लिए उन्होंने कुछ शर्तें रखी थी. अपने दादा चौधरी चरण सिंह के लिए भारत रत्न सम्मान भी इसमें शामिल है.
क्या अखिलेश का साथ छोड़ पलटी मारेंगे जयंत चौधरी? BJP-RLD के बीच इन सीटों पर फंसा है पेंच
अब मोदी सरकार ने चौधरी चरण सिंह के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' का ऐलान करके जयंत चौधरी को अपने पाले में करने का कदम उठा लिया है. खबर है कि अलायंस के फॉर्मूले पर लगभग सहमति बन गई है. इस फैसले के बाद RLD के BJP के साथ जाने की चर्चा तेज है.
जयंत चौधरी के जवाब से साफ है कि वो NDA में शामिल हो रहे हैं. हालांकि, अब तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है. जयंत चौधरी ने कहा, "BJP के साथ सीटों के बारे में बात करने से आज के खास दिन की महत्ता कम हो जाएगी. मैं पीएम मोदी को बधाई देता हूं. वह देश की भावनाओं और चरित्र को समझते हैं."
#WATCH एनडीए में शामिल होने की बात पर RLD प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा, "कोई कसर रहती है। आज मैं किस मुंह से इंकार करूं।" pic.twitter.com/L8O6V6BxZx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 9, 2024
इससे पहले चौधरी चरण सिंह के लिए भारत रत्न (मरणोंपरांत) का ऐलान होने पर जयंत चौधरी ने मोदी सरकार और खासतौर पर पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया. जयंत चौधरी ने X हैंडल पर लिखा, "पिछली सरकारें जो नहीं कर सकीं, वह आज पीएम मोदी के विजन से पूरा हो गया. मैं उन लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एक बार फिर पीएम मोदी की सरकार का आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जो मुख्यधारा का हिस्सा नहीं हैं. आपने दिल जीत लिया है. यह एक बड़ा दिन है... और मेरे लिए इमोशनल मोमेंट भी."
चौधरी ने आगे लिखा, "मैं राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू), (BJP) सरकार और पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं... तीन (भारत रत्न) पुरस्कार दिए गए हैं. लोगों की भावनाएं इस फैसले से जुड़ी हैं."
BJP को RLD की जरूरत क्यों?
18 अगस्त 2023 को जाट नेता जयंत चौधरी ने BJP के साथ जाने के सवाल पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था, "जो मुझे समझ नहीं पाए, वही इस बात की चर्चा कर रहे हैं. मैं बहुत जिद्दी आदमी हूं. जब कह देता हूं, मन बना लेता हूं तो बदलता नहीं हूं." अब उनके NDA में शामिल होने की चर्चा तेज है. गौर करने वाली बात ये है कि RLD लगातार 2 लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि पहले से मजबूत और अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम BJP को यूपी में RLD की जरूरत क्यों है?
पश्चिमी UP में लोकसभा की 27 सीटों का है गेम
सारा खेल पश्चिमी UP में लोकसभा की 27 सीटों को लेकर है. यूपी में रहने वाले 99% जाट पश्चिमी यूपी के 27 लोकसभा क्षेत्रों में रहते हैं. इनमें से मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मंडल की 14 सीटों पर जाटों का वोट ही जीत और हार तय करता है. इन सीटों पर जयंत चौधरी की पार्टी RLD निर्णायक भूमिका निभाती रही है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 14 सीटों में से सिर्फ 7 सीटों पर BJP को जीत मिली थी. 7 सीटों में से 4 पर BSP और 3 पर सपा को जीत मिली थी.
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RLD की सपा के साथ अब तक क्या है डील?
सपा ने RLD को गठबंधन के तहत 7 सीटें दिए हैं. लेकिन पेंच यहीं फंसा है. दरअसल, जो 7 सीटें RLD को लोकसभा चुनाव में दी हैं, उन पर कहा जा रहा है कि 4 उम्मीदवार सपा के होंगे, जो RLD के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे. सपा चाहती है कि कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो RLD के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे.
RLD नेताओं ने कैराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी. मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बन गई. बताया जा रहा है कि BJP इसी दूरी का फायदा उठाना चाहती है.
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