पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक राज्य तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली. पार्टी की तरफ से रेवंत रेड्डी(Revanth Reddy) को राज्य में नेतृत्व सौंपी गयी है. गुरुवार को रेवंत रेड्डी ने अन्य सहयोगियों के साथ मंत्री पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण के लिए एक बेहद भव्य आयोजन किया गया. रेवंत रेड्डी स्वयं कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के साथ शपथ लेने के लिए पहुंचे. हैदराबाद के 30,000 सीटों की क्षमता वाले एलबी स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में रेड्डी एक खुली छत वाली जीप में सवार होकर पहुंचे. रेवंत रेड्डी के सीएम बनाने से पहले कांग्रेस पार्टी में कई दौर की बैठकें चली. राज्य के कई नेता रेवंत रेड्डी के नाम के विरोध में थे.
रेवंत रेड्डी ने की 'जय सोनिया अम्मा' के साथ भाषण की शुरुआत
रेवंत रेड्डी ने अपने शपथ ग्रहण के बाद दिए गए भाषण की शुरुआत 'जय सोनिया अम्मा' के साथ की. साथ ही चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी की तरफ से 'सोनिया अम्मा का संदेश' के तौर पर भी उनके संदेश को प्रचारित किया गया था. कांग्रेस पार्टी की कोशिश रही थी कि तेलंगाना राज्य के निर्माण में सोनिया गांधी की भूमिका को जनता तक ले जाया जाए. जानकार पार्टी के अंदर रेवंत रेड्डी की स्वाकार्यता को बढ़ाकर कांग्रेस की तरफ से तेलंगाना के आम लोगों के बीच भी रेंवत रेड्डी की एक मजबूत छवि बनाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं.
तेलंगाना के गठन में सोनिया गांधी की रही थी अहम भूमिका
गौरतलब है कि 2014 में तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर विवाद के बीच तेलंगाना का गठन किया गया था, और सोनिया गांधी को व्यापक रूप से राज्य को जन्म देने वाले विधेयक को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के रूप में देखा जा रहा है. सोनिया गांधी ने भी तेलंगाना के लोगों के नाम मतदान से पहले एक संदेश जारी किया था. सोनिया गांधी वीडियो संदेश में कहा था कि लंगाना में कांग्रेस सरकार देखना मेरा सपना है...' आप हमें अपना समर्थन दें?
रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में जीत को क्यों इतनी बड़ी मानी जा रही है?
दरअसल, कुछ माह पहले तक कोई भी राजनीतिक पंडित KCR की हार की भविष्यवाणी नहीं कर रहा था, लेकिन कांग्रेस ने रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में ज़मीन पर काम शुरू किया और ग्रामीण इलाकों में नेताओ के दौरों के बाद उन्हें BRS का मज़बूत समझा जाने वाला किला भेदने में कामयाबी मिल गई. दरअसल, KCR जिस वक्त अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए महाराष्ट्र में व्यस्त थे, कांग्रेस तेलंगाना में ही जनता से संपर्क बढ़ा रही थी, और उन मुद्दों को उठा रही थी, जिनसे लोगों में सरकार की छवि को ठेस पहुंचे.
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