फाइल फोटो
नई दिल्ली:
जनसंख्या विशेष से जुड़ी विसंगतियों की पहचान एवं रोकथाम में सहायक साबित हो सकने वाले एक जीन संबंधी विश्लेषण में कहा गया है कि भारत और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों में रहने वाले लोग दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों के प्रति खास तौर पर संवेदनशील हैं. ऐसी कई बीमारियों की पहचान की गई है, जो खासतौर पर दक्षिण एशियाई जनसंख्या में पाई गई हैं लेकिन इनमें से अधिकतर बीमारियों की आनुवंशिक वजहें रहस्य ही बनी रही हैं.
अमेरिका में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और हैदराबाद के सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के अनुसार, कुछ स्थापक घटनाओं के चलते जनसंख्या विशेष से जुड़ी बीमारियों की दर बढ़ी. इन स्थापक घटनाओं के तहत छोटी संख्या में पूर्वज बच्चों को जन्म देते हैं.
एचएमएस में जेनेटिक्स के प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक डेविड रीच ने कहा, ‘‘हमारा काम उन परिवर्तनों की पहचान करने का अवसर देता है, जो किसी जनसंख्या विशेष से जुड़ी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं. इससे दक्षिण एशिया में आनुवंशिक बीमारियों के बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमेरिका में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और हैदराबाद के सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के अनुसार, कुछ स्थापक घटनाओं के चलते जनसंख्या विशेष से जुड़ी बीमारियों की दर बढ़ी. इन स्थापक घटनाओं के तहत छोटी संख्या में पूर्वज बच्चों को जन्म देते हैं.
एचएमएस में जेनेटिक्स के प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक डेविड रीच ने कहा, ‘‘हमारा काम उन परिवर्तनों की पहचान करने का अवसर देता है, जो किसी जनसंख्या विशेष से जुड़ी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं. इससे दक्षिण एशिया में आनुवंशिक बीमारियों के बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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