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This Article is From Jan 26, 2013

गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी ने मोहा मन

गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी ने मोहा मन
नई दिल्ली: अपनी अनुपम ऐतिहासिक संस्कृति के लिए विख्यात बिहार ने इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में 'सिक्की तृण' यानी घास से बनी कलाकृतियां दर्शाने वाली झांकी पेश की।

बिहार में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के परिवार वालों के जीवन यापन के लिए यह एक बड़ा साधन है। झांकी की प्रस्तुति के दौरान उसमें बज रहे लोक गीत "पथिआ मौउनिया रे जान..." ने उपस्थित लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। यह गीत बिहार में लोकप्रिय लोकगीत 'जाट-जाटिन' से प्रेरित था।

खूबसूरत सुनहरे रंग वाली सिक्की घास अपनी लंबाई और चमक के कारण बहुत आकर्षक होती है। यह बरसात के बाद केवल एक बार उगती है और उस समय इसे काटकर वर्ष भर उपयोग के लिए संरक्षित कर लिया जाता है। झांकी में बहुरंगी सूखी सिक्की घास से एक कलश बनाया गया था और कलात्मक ढंग से बनी टोकरियां, चिड़िया, जानवर, खिलौने इत्यादि दर्शाए गए थे। झांकी के बीच में महिलाएं विभिन्न उत्पादों को बनाने और सजाने के कार्य में जुटी हुई थीं।

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