
MUDA Land Scam: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने MUDA भूमि मामले में अस्थायी राहत दी है. अदालत ने लोकायुक्त की "बी रिपोर्ट" को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर अपना फैसला टाल दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का नाम शामिल है. अदालत ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस की अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने तक याचिका को लेकर कोई भी फैसला नहीं सुनाया जाएगी. जज संतोष गजानन भट ने लोकायुक्त पुलिस को जांच को जारी रखने और अंतिम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
"बी रिपोर्ट" में लोकायुक्त पुलिस ने सबूतों के अभाव में मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी पार्वती, पत्नी के भाई और जमीन विक्रेता को क्लीन चिट दे दी थी. हालांकि ईडी ने रिपोर्ट को चुनौती दी है और इस मामले में गहराई से जांच की मांग की है.
लोकायुक्त पहले से ही कथित घोटाले से जुड़े 130 से अधिक अन्य लोगों की जांच कर रहा है.
कोर्ट ने व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा
इससे पहले लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया और तीन अन्य के खिलाफ आरोपों की जांच के बाद एक शुरुआती रिपोर्ट पेश की थी. हालांकि अदालत ने कहा कि जांच केवल चार व्यक्तियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. साथ ही पुलिस को मामले से जुड़े सभी लोगों की जांच करने और व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया.
मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी.
45 करोड़ रुपये का नुकसान का आरोप
MUDA मामले में सिद्धारमैया की पत्नी पर मैसूर में 14 प्रीमियम साइटों के आवंटन को लेकर आरोप लगे हैं. आरोप है कि मैसूर के एक पॉश इलाके में स्थित मुआवजा देने वाली साइटों का मूल्य MUDA द्वारा उनसे अधिग्रहित भूमि की कीमत से कहीं अधिक है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि आवंटन से राज्य को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
सिद्धारमैया और उनकी पत्नी के अलावा, उनके बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू और अन्य का नाम 27 सितंबर को लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में दर्ज किया गया है. देवराजू वह व्यक्ति है जिससे मल्लिकार्जुन स्वामी ने जमीन खरीदी थी और उसे पार्वती को उपहार में दिया था.
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