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ईडी ने अनिल अंबानी ग्रुप की 3,000 करोड़ से ज़्यादा की संपत्तियां अटैच कीं, पाली हिल वाला घर भी शामिल

ईडी की जांच रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग और फंड डाइवर्जन के मामले में चल रही है. जांच में सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL और RCFL में करीब ₹5,000 करोड़ का निवेश किया था.

ईडी ने अनिल अंबानी ग्रुप की 3,000 करोड़ से ज़्यादा की संपत्तियां अटैच कीं, पाली हिल वाला घर भी शामिल
  • ED ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की करीब ₹3,084 करोड़ की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है
  • अटैच की गई संपत्तियां मुंबई, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, ईस्ट गोदावरी में फैली हुई हैं
  • ईडी की जांच में पाया गया कि यस बैंक ने 2017 से 2019 के बीच RHFL और RCFL में लगभग ₹5,000 करोड़ का निवेश किया था
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नई दिल्‍ली:

प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब ₹3,084 करोड़ की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है. इनमें मुंबई के पाली हिल स्थित अंबानी परिवार का घर, दिल्ली का रिलायंस सेंटर और कई अन्य शहरों की संपत्तियां शामिल हैं. यह कार्रवाई 31 अक्टूबर 2025 को PMLA की धारा 5(1) के तहत की गई. 

किन-किन जगहों की संपत्तियां अटैच हुईं

ईडी के मुताबिक, अटैच की गई संपत्तियां दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम सहित) और ईस्ट गोदावरी में फैली हुई हैं. इनमें ऑफिस, रिहायशी फ्लैट्स और ज़मीन  शामिल हैं.

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ये संपत्तियां हुई जब्‍त

  • पाली हिल, बांद्रा (पश्चिम), मुंबई: अंबानी परिवार का मशहूर निवास (Plot No. 43, नर्गिस दत्त रोड)
  • नई दिल्ली: रिलायंस सेंटर, नई दिल्ली
  • मुंबई-चर्चगेट: नागिन महल ऑफिस
  • नोएडा: बीएचए मिलेनियम टॉवर के फ्लैट्स
  • हैदराबाद: कैप्री अपार्टमेंट्स
  • चेन्नई: अड्यार और ओएमआर (कोट्टिवक्कम) इलाके में 29 फ्लैट्स (क़रीब ₹110 करोड़ की कीमत)
  • ईस्ट गोदावरी, पुणे, ठाणे: ज़मीन और ऑफिस प्रॉपर्टीज

ईडी की जांच रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग और फंड डाइवर्जन के मामले में चल रही है. जांच में सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL और RCFL में करीब ₹5,000 करोड़ का निवेश किया था. ₹2,965 करोड़ RHFL में और ₹2,045 करोड़ RCFL में, लेकिन यह निवेश बाद में डूब गया और दिसंबर 2019 तक RHFL पर ₹1,353 करोड़ और RCFL पर ₹1,984 करोड़ बकाया रह गया. 

ईडी का कहना है कि रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड के ज़रिए सीधे अनील अंबानी ग्रुप में निवेश करना कानूनी रूप से मना था. फिर भी म्यूचुअल फंड के पैसों को यस बैंक के ज़रिए अप्रत्यक्ष रूप से रिलायंस ग्रुप की कंपनियों में रूट किया गया. RHFL और RCFL ने जो कॉरपोरेट लोन दिए, उनका बड़ा हिस्सा इन्हीं समूह से जुड़ी कंपनियों में पहुंचा, और फंड्स को siphon off (हेराफेरी) कर लिया गया. 

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ईडी ने पाया कि कई लोन उसी दिन मंज़ूर, साइन और जारी कर दिए गए जब आवेदन हुआ. कुछ मामलों में तो लोन की रकम आवेदन से पहले ही जारी कर दी गई.  फील्ड वेरिफिकेशन, डॉक्युमेंट चेक और सिक्योरिटी वैलिडेशन को दरकिनार किया गया. कई कंपनियों की वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर थी या उनका कोई ठोस कारोबार नहीं था. 

सुरक्षा दस्तावेज़ अधूरे, ओवरराइट या ब्लैंक छोड़े गए

ईडी का कहना है कि ये सब जानबूझकर किए गए नियंत्रण असफलता (deliberate control failures) हैं. 

ईडी की जांच RCOM तक पहुंची

एजेंसी ने यह भी बताया कि अब जांच रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) और अन्य संबंधित कंपनियों तक पहुंच चुकी है. यहां भी ₹13,600 करोड़ से ज़्यादा की पैसे के लोन फ्रॉड, फंड डाइवर्जन और एवरग्रीनिंग के मामले सामने आए हैं. करीब ₹12,600 करोड़ कनेक्टेड पार्टियों को ट्रांसफर किए गए और ₹1,800 करोड़ से अधिक फिक्स्ड डिपॉज़िट व म्यूचुअल फंड्स में लगाए गए, जिन्हें बाद में निकालकर दोबारा रूट किया गया. ईडी के मुताबिक, जांच अभी जारी है और ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम' (ग़ैरकानूनी कमाई) की ट्रेसिंग की जा रही है. एजेंसी का दावा है कि जो भी रिकवरी होगी, वह अंततः आम जनता के हित में जाएगी , क्योंकि ये फंड्स जनता के पैसे से जुटाए गए थे.

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