साल 1901 के बाद बीते अगस्त महीने में सबसे गर्म और शुष्क तापमान दर्ज किया गया और अब देश के कई हिस्सों में सितंबर महीने में भी सामान्य से ऊपर तापमान दर्ज किया जा रहा है. अगस्त महीने में देश के कई हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था. मौसम वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता व्यक्त की थी. इसे जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रकोप माना जा रहा है.
सिंतबर महीने में अभी तक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से 3.1 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है. 3 सितंबर, 2023 को राजस्थान के चुरू में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस, पिलानी (राजस्थान) में 39.5 डिग्री सेल्सियस, जबकि मध्य प्रदेश के खजुराहो में 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
मौसम विभाग के मुताबिक, कई राज्यों और राजस्थान के महत्वपूर्ण शहरों में तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि अगर सितंबर में ज्यादा बारिश होती भी है, तो भी जून से सितंबर के सत्र के दौरान दर्ज की गई औसत वर्षा मौसम की सामान्य वर्षा से कम रहने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि अगस्त में वर्षा की कमी के पीछे सबसे बड़ा कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति का बनना है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के समुद्री सतह तापमान में अंतर अब ‘पॉजिटिव' होना शुरू हो गया है, जो अल नीनो के प्रभाव को उलट सकता है. उन्होंने कहा कि पूर्व दिशा की ओर बढ़ते बादलों की गति और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हो रही वर्षा मानसून के फिर से दस्तक देने में अहम भूमिका निभा सकती है.
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