RBI ने करीब एक माह में दूसरी बार बढ़ाया रेपो रेट, बैंकों से कर्ज लेना और घर खरीदना होगा और महंगा

RBI गवर्नर ने आशंका जताई है कि महंगाई इस साल के पहले 9 महीनों तक 6% से ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी.

RBI ने करीब एक माह में दूसरी बार बढ़ाया रेपो रेट, बैंकों से कर्ज लेना और घर खरीदना होगा और महंगा

आरबीआई गवर्नर ने कहा, मौजूदा वित्तीय साल के पहले 9 महीनों में महंगाई दर 6% से ऊपर रहने का अनुमान है

नई दिल्‍ली :

देश में बढ़ती महंगाई की चुनौती से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को नियंत्रित करने के लिए पॉलिसी रेपो रेट 50 बेसिस पॉइंट और बढाकर 4.90% करने का ऐलान कर दिया. इस फैसले से बैंकों से क़र्ज़ लेना और घर खरीदना और महंगा हो जाएगा.  RBI ने ये फैसला रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बढ़ती अनिश्चितता, कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतों और अंतराष्ट्रीय गेहूं और खाने-पीने के बाजार में उथलपुथल को देखते हुए किया है. RBI गवर्नर ने आशंका जताई है कि महंगाई इस साल के पहले 9 महीनों तक 6% से ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी.  

देश में बढ़ती महंगाई के संकट से निपटने के लिए RBI की मोनेटरी कमेटी ने पॉलिसी रेपो रेट-वो रेट जिस पर RBI बैंकों को क्रेडिट मुहैया कराती है- में पिछले करीब एक महीने में दूसरी बार 50 बेसिस पॉइंट्स बढ़ाने का ऐलान किया है. पिछले महीने 4 मई को ही RBI ने पॉलिसी रेपो रेट 40 बेसिस पॉइंट बढ़ाया था. इसके पीछे मंशा अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को नियंत्रित करने की है. इसका सीधा असर आपकी होम लोन और दूसरे तरह के लोन के ब्याज दरों पर पड़ेगा, नया घर खरीदना भी महंगा होगा.  आरबीआई गवर्नर 

शक्तिकांत दास ने कहा, "मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने माना है कि निरंतर उच्‍च महंगाई, मुद्रास्‍फीति की उम्‍मीदों को अस्थिर कर सकती है और दूसरे दौर के प्रभाव को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए यह निर्णय लिया गया कि मुद्रास्‍फीति के अपेक्षाओं को स्थिर करने के लिए और मौद्रिक नीति उपाय जरूरी हैं. इसलिए एमपीसी ने पॉलिसी रेपो दर में बदलाव का निर्णय  लिया है. "आरबीआई गवर्नर ने आशंका जताई कि मौजूदा वित्तीय साल के पहले 9 महीनों में महंगाई दर 6% से ऊपर रहने का अनुमान है, यानी आम लोगों को महंगाई का बोझ लम्बे समय तक झेलना पड़ेगा.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा
-अगर मॉनसून अनुमान के मुताबिक सामान्य रहा और कच्चे  तेल की औसत कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल रही तो 2022-23 में महंगाई दर 6.7% रहने का पूर्वानुमान है  
-- महंगाई दर में करीब 75% हिस्सा फ़ूड इन्फ्लेशन का है
-- मौजूदा साल में GDP की विकास दर 7.2% रहने का अनुमान है.
-- राज्य सरकारें अगर पेट्रोल-डीज़ल पर VAT घटाती हैं तो महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

इस बीच, कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवालाने कहा आरबीआई के फैसले पर प्रतिक्रया देते हुए कहा, "4 मई को आरबीआई ने रेपोरेट 0.40% बढ़ाए. नतीजा- महीने भर में ईएमआई तीन से चार बार महंगी हुई. आज फ़िर से रेपारेट 0.50% बढ़ाया गया है. नतीजा पहले ही महंगे कर्ज़ में फंसे लोग, अब और ज्यादा ईएमआई की मार झेलने को मजबूर! महंगाई, बेरोजगारी और ख़ाली जेब के साथ महंगा क़र्ज़."

रूस-यूक्रेन को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच पेट्रोलियम मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक] क्रूड आयल इंडियन बास्केट की कीमत 7 जून,2022  को बढ़कर 118 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई.  बुधवार को 50  बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी के साथ ही पिछले करीब एक महीने में आरबीआई ने पॉलिसी रेपो रेट 90  बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया है. ज़ाहिर है, महंगाई से निपटने की चुनौती बड़ी है और अगर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल और महंगा हुआ तो आरबीआई और भारत सरकार को और बड़े स्तर पर हस्तक्षेप करना होगा. 

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