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बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम को हरियाणा चुनाव से पहले फिर मिली पैरोल, चुनाव आयोग ने दी मंजूरी

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि पैरोल की शर्तें होंगी कि वो हरियाणा नहीं जाएगा, कोई सार्वजनिक भाषण नहीं देगा और इस दौरान किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा.

बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम को हरियाणा चुनाव से पहले फिर मिली पैरोल, चुनाव आयोग ने दी मंजूरी
नई दिल्ली:

बलात्कार के दोषी और 20 साल की जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले 20 दिन की पैरोल मिल गई है. राम रहीम बुधवार सुबह जेल से रिहा हो सकता है. पिछले दो साल में ये उसकी दसवीं पैरोल होगी. सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग से मंजूरी मिलने के बाद हरियाणा सरकार ने उसे एक बार फिर पैरोल दे दिया.

निर्वाचन आयोग ने राम रहीम को पैरोल देने के लिए कड़ी शर्तें लगाईं हैं, जिसमें हरियाणा में उसके प्रवेश, सार्वजनिक भाषण देने और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध शामिल है.

राम रहीम को 2017 में हरियाणा के सिरसा स्थित अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया गया था.

हरियाणा जेल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को लिखे पत्र में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रशासन के 30 सितंबर के उस पत्र का हवाला दिया, जिसमें दोषी द्वारा 20 दिन की पैरोल मांगते समय दिए गए आपातकालीन और आवश्यक कारणों का उल्लेख किया गया था.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा था, ‘‘इस पत्र के मद्देनजर, राज्य सरकार जिला जेल, रोहतक में बंद दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल (20 दिन) देने के मामले पर विचार कर सकती है, बशर्ते कि आपके 30 सितंबर के पत्र में उल्लिखित आपातकालीन और आवश्यक कारणों से संबंधित तथ्य सही हों.''

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि पैरोल की शर्तें होंगी कि वो हरियाणा नहीं जाएगा, कोई सार्वजनिक भाषण नहीं देगा और इस दौरान किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा.

पत्र में चेतावनी दी गई कि इसके अलावा, दोषी की आवाजाही पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए और ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वह चुनाव संबंधी किसी गतिविधि में शामिल न हो.

इसमें कहा गया कि अगर राम रहीम किसी आपत्तिजनक गतिविधि में लिप्त पाया जाता है, तो उसकी पैरोल तुरंत रद्द कर दी जानी चाहिए.

इससे पहले कांग्रेस ने राम रहीम की रिहाई को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि उसकी रिहाई चुनाव से पहले लागू आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगी. पिछले कुछ सालों में, एक स्थानीय धार्मिक नेता के रूप में उसने बड़े पैमाने पर अनुयायी बनाए हैं. ऐसी चिंता है कि चुनाव से पहले उसकी रिहाई पार्टी को करीबी मुकाबले की उम्मीद में नुकसान पहुंचा सकती है.

राज्य में पांच अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा और आठ अक्टूबर को नतीजे आएंगे.

राज्य प्रशासन ने आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण निर्वाचन आयोग से पैरोल के संबंध में अनुमति मांगी थी.

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