
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मौके को भी ठगों ने ठगी का जरिया बना डाला. फर्जी वेबसाइट के जरिए प्रसाद भेजने का झांसा देकर 6 लाख 30 हजार 695 श्रद्धालुओं से 3 करोड़ 85 लाख से ज्यादा की चपत लगा दी. इस सनसनीखेज मामले का खुलासा उत्तर प्रदेश की साइबर क्राइम पुलिस ने किया, जिसने हरकत में आते हुए 3 लाख 72 हजार 520 पीड़ितों के खातों में 2 करोड़ 15 लाख 8 हजार 426 रुपये वापस कराए. शेष 1 करोड़ 70 लाख 47 हजार 313 रुपये भी पेमेंट गेटवे के माध्यम से जल्द वापस कराने की कोशिश जारी है.
प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर कैसे लगाया चूना
यह ठगी का मामला तब समय सामने आया, जब भगवान राम के भक्तों ने प्रसाद न मिलने की शिकायतें शुरू कीं. फिर मामले की जांच में पता चला कि गाजियाबाद निवासी आरोपी आशीष ने एक फर्जी वेबसाइट बनाई थी, जिसके जरिए उसने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रसाद भेजने का लालच दिया. उसने भारतीय श्रद्धालुओं से 51 रुपये और विदेशी श्रद्धालुओं से 11 डालर सुविधा शुल्क के रूप में वसूले. भक्तों की आस्था का फायदा उठाकर उसने लाखों को ठग लिया, लेकिन प्रसाद किसी को नहीं भेजा.
पुलिस ने कैसे खोली मामले की पोल
उत्तर प्रदेश की साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले को बेहद ही गंभीरता से लिया. तत्कालीन थाना प्रभारी आलोक कुमार ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई. मामले की जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी आशीष को गिरफ्तार किया, जिसके पास से एक पासपोर्ट भी मिला. साइबर क्राइम थाना प्रभारी मोहम्मद अरशद के नेतृत्व में पुलिस ने बैंकों और कोर्ट के साथ मिलकर ठगी की पूरी राशि को सीज कराया. इस प्रक्रिया में लाखों पीड़ितों के बैंक खाते खोजने और धनराशि वापस कराने में एक साल का समय लगा.
आरोपी ने बनाई थी फर्जी वेबसाइट
इस ठगी को बड़े ही शातिराना ढंग से अंजाम दिया गया. आरोपी ने वेबसाइट को ऐसे डिजाइन किया था कि श्रद्धालु आसानी से उस पर यकीन कर लें. मगर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए न केवल ठगी की राशि वापस कराने में सफलता हासिल की, बल्कि लोगों को ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक करने की भी अपील की. यह घटना आस्था के नाम पर ठगी का एक बड़ा उदाहरण है. पुलिस ने सलाह दी है कि श्रद्धालु किसी भी ऑनलाइन पोर्टल पर भुगतान करने से पहले उसकी विश्वसनीयता की जांच करें.
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