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रक्षाबंधन ने बढ़ाई बाजारों में रौनक, देशभर में 12 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की जिस प्रकार से पिछले दिनों में राखियों की मांग में वृद्धि हुई है, उसको देखते हुए इस वर्ष 12 हज़ार करोड़ रुपये के राखी त्योहार पर व्यापार होने की उम्मीद है.

रक्षाबंधन ने बढ़ाई बाजारों में रौनक, देशभर में 12 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद
पिछले वर्ष रक्षाबंधन पर व्यापार लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपये का था.
नई दिल्ली:

देशभर के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने कहा है कि इस वर्ष राखी पर देशभर में 12 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का त्योहारी व्यापार होने की उम्मीद है. बाज़ारों में राखी की ख़रीददारी की ज़बरदस्त भीड़ है और लोगों में त्योहार के प्रति बहुत उत्साह भी है. पिछले कई वर्षों से देश में स्वदेशी राखियों ही बिक रही हैं और इस वर्ष भी चीन की बनी राखियों की न तो कोई मांग थी एवं बाज़ार में चीनी राखियां दिखाई ही नहीं दी. 

कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष तथा उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि कल 19 अगस्त को दोपहर 1.30 मिनट तक भद्रा काल है. जिसमें कोई भी मंगल कार्य निषेध है. इसलिए देशभर में रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार दोपहर 1.31 मिनट से ही मनाया जाएगा. कैट ने इस तरह की एडवाइजरी आज देश के सभी व्यापारी संगठनों को भेजी है और कहा है कि सभी व्यापारी शुभ समय में ही रक्षा बंधन का पर्व मनाएं. 

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कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की जिस प्रकार से पिछले दिनों में राखियों की मांग में वृद्धि हुई है, उसको देखते हुए इस वर्ष 12 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है. जबकि पिछले वर्ष यह व्यापार लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपये का था. वहीं वर्ष 2022 में लगभग 7 हज़ार करोड़ रुपये, 2021 यह व्यापार 6 हज़ार करोड़ रुपये का था. जबकि वर्ष 2020 में 5 हज़ार करोड़, वर्ष 2019 में 3500 करोड़ तथा वर्ष 2018 में 3 हज़ार करोड़ था.

विशेष प्रकार की राखियां बनाई गई

खंडेलवाल एवं कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने बताया की इस वर्ष राखियों की एक विशेषता यह भी है कि इनमें देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियां भी बनाई गईं है. जिनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता में जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं. वहीं देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं. जिनकी मांग बहुत अधिक है. इसके अलावा डिज़ाइनर राखियों तथा चांदी की राखियां भी बाज़ार में खूब बिक रही है. 

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चीनी सामान के बहिष्कार की सफल मुहिम

भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया की उम्मीद है कि 19 अगस्त, रक्षा बंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक त्योहारी अवधि के दौरान, सामानों की बिक्री के माध्यम से देश के बाज़ारों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की त्योहारों बिक्री होने की उम्मीद है. जो मूल रूप से भारतीय वस्तुओं की ख़रीदी से ही होगी. इस वर्ष की त्यौहार श्रृंखला रक्षा बंधन से शुरू होकर जन्माष्टमी, 10 दिवसीय गणेश उत्सव, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा सहित अन्य त्यौहारों के साथ तुलसी विवाह के दिन सम्पन्न होगी.

उन्होंने आगे कहा कि इस त्योहारों श्रृंखला की अवधि के दौरान उपभोक्ताओं की मांगों को पूरा करने के लिए देश का व्यापारिक समुदाय पूरी तरह तैयार है और पर्याप्त मात्रा में सभी उत्पादों का स्टॉक व्यापारियों ने कर लिया है. देश के सभी राज्यों में व्यापारी भारतीय सामान को ही बेचेंगे क्योंकि उपभोक्ता भी अब भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं. कैट पिछले चार वर्षों से देश में ख़ास तौर पर त्योहारों के समय भारतीय उत्पाद ख़रीदने के साथ चीनी सामान के बहिष्कार की सफल मुहिम चलाये हुए है.

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