
- सरकार ने बताया कि पिछले 5 साल में भारत में 12 हेलीकॉप्टर हादसे हुए, जिनमें 30 लोगों की मौत हुई.
- सरकार के मुताबिक, उत्तराखंड में सबसे अधिक 7 हेलीकॉप्टर हादसे हुए, जिनमें 21 लोग मारे गए.
- मंत्री मुरलीधर मोहोल ने बताया कि DGCA में करीब आधे पद खाली हैं, पर कामकाज पर प्रभाव नहीं पड़ा है.
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने सोमवार को संसद में बताया कि पिछले पांच साल में भारत में 12 हेलीकाप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 30 लोग मारे गए. राज्यसभा में दिए लिखित जवाब में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री ने बताया कि सबसे ज्यादा 7 हेलीकॉप्टर उत्तराखंड में दुर्घटनाग्रस्त हुए, जिनमें 21 लोग मारे गए. इसके बाद 4 हेलीकॉप्टर हादसे महाराष्ट्र में हुए, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई. छत्तीसगढ़ में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ जिसमें दो लोगों की जान गई.
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने पूछे थे ये सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नागरिक उड्डयन मंत्री से सवाल पूछा था कि पिछले पांच साल के दौरान देश में कितने हेलीकॉप्टर एक्सीडेंट हुए. कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने ये भी पूछा था कि क्या सरकार ने उत्तराखंड में हाल में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं का संज्ञान लिया है? क्या सरकार ने लगातार होने वाली दुर्घटनाओं के कारणों का आंकलन किया है और इस संबंध में क्या कोई सुधारात्मक कार्रवाई प्रस्तावित है?
चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टरों की अतिरिक्त निगरानी
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मोहोल ने इन सवालों के जवाब में कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने चारधाम यात्रा सहित देश में हेलीकॉप्टर संचालन के लिए तय सुरक्षा मानकों जैसे एक्सेस कंट्रोल (प्रवेश नियंत्रण), पार्किंग व्यवस्था में सुधार, स्लॉट आवंटन रेगुलेट करने, पायलट ट्रेनिंग बढ़ाने और Standard Operating Procedures (SOPs) का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है. उन्होंने बताया कि DGCA ने चारधाम यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर संचालन की अतिरिक्त निगरानी और सुरक्षा ऑडिट करना भी शुरू कर दिया है.
DGCA में करीब आधे पद खालीः मोहोल
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने एक अन्य सवाल के जवाब में राज्य सभा में बताया कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) में करीब आधे पद खाली पड़े हैं. इन्हें जल्दी से भरने के लिए केंद्र सरकार तत्परता से पहल कर रही है.
उन्होंने बताया कि सिविल एविएशन क्षेत्र के वर्तमान व भावी विस्तार तथा सेफ्टी रेगुलेटर के रूप में DGCA की बढ़ती भूमिका को ध्यान में रखते हुए, पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत साल 2022 से 2024 के बीच 441 पदों का सृजन किया गया, इनमें 426 तकनीकी पद थे. इस समय DGCA में स्वीकृत पदों की कुल संख्या 1644 है, जिनमें से 823 पद रिक्त हैं.
कर्मचारियों की कमी से हुए विमान हादसे?
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने पूछा था कि परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति सम्बन्धी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक DGCA में 1,633 से अधिक स्टाफ पद खाली हैं. क्या सरकार ने हाल की विमानन दुर्घटनाओं और नियामकीय कार्रवाइयों में देरी (delays in regulatory actions) के संदर्भ में DGCA में कर्मचारियों की कमी के प्रभाव का आंकलन किया है?
इसके जवाब में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री ने कहा कि यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि देश में नागरिक उड्डयन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में डीजीसीए में कई पदों का सृजन किया गया है. ऐसे में इस कमी का डीजीसीए के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
'कम स्टाफ का DGCA की निगरानी पर असर नहीं'
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के मुताबिक, DGCA में ज़रूरी मैनपावर की समय पर और निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भर्ती प्रक्रिया को तत्परता से आगे बढ़ाया जा रहा है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मुताबिक, स्टाफ में कमी का DGCA की वार्षिक निगरानी योजना (Annual Surveillance Plan ) के तहत नियमित रूप से की जाने वाली निगरानी योजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं