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This Article is From Jun 09, 2020

राज्यसभा चुनाव : उम्मीदवारों के चयन में CM से ज्यादा संघ हावी, येदियुरप्पा की नहीं चली!

कर्नाटक की चार सीटों में से 2 पर बीजेपी एक पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत तय है. एक सीट पर जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व पीएम देवगौड़ा को सोनिया गांधी का समर्थन है.

राज्यसभा चुनाव : उम्मीदवारों के चयन में CM से ज्यादा संघ हावी, येदियुरप्पा की नहीं चली!
जिन 2 नामों को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने चुना है वो दोनों बीजेपी से कम और संघ से ज्यादा जुड़े (फोटो-पीटीआई)
बेंगलुरु:

कर्नाटक से राज्यसभा के लिए जिन दो नामों पर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी मुहर लगाई है वो चौकाने वाले हैं. ये दोनों नाम उन नेताओं के हैं जिनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से नाता रहा है. माना जा रहा है कि इन नामों के चयन में पार्टी के संगठन सचिव और संघ के कद्दावर नेता बीएल संतोष की चली यानी यह निर्णय लेते समय मुख्यमंत्री बीएस यदियुरप्पा को तरजीह नही दी गई है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और बीजीपी के केंद्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष के बीच कभी नहीं बनी ये आम धारणा है हालांकि दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयानबाज़ी भी नहीं की लेकिन इसके बावजूद एक दूसरे का कद छोटा करने की कोशिश दोनों तरफ से होती रहती है और अब राज्यसभा की 2 सीटों के लिए जिन 2 नामों को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने चुना है वो दोनों बीजेपी से कम और संघ से ज्यादा जुड़े रहे हैं.

इनमें अशोक गस्ती (एबीवीपी) और ईरन्ना कडाड़ी आरएसएस से हैं. साफ है कि उम्मीदवारों के चयन में बीएल सन्तोष की चली है. संघ से जुड़े वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रभाकर कोड़े ने इस निर्णय पर कहा, 'केंद्रीय नेतृत्व ने अच्छा कदम उठाया है, 30 सालों से जुड़े कार्यकर्ता को मौका दिया है. मैं खुश हूं.'


येदियुरप्पा की ढलती उम्र की वजह से कई नेता अपनी किस्मत आज़माना चाहते हैं, कर्नाटक की चार सीटों में से 2 पर बीजेपी एक पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत तय है.  एक सीट पर जेडीएस सुप्रीमो और पूर्व पीएम देवेगौड़ा को सोनिया गांधी का समर्थन है ऐसे में कांग्रेस अपने बचे हुए 22 वोटों में से देवेगौड़ा को काम पड़ रहे 10 वोट दे देगी.  एचडी देवेगौड़ा ने कहा, 'कांग्रेस ने सिर्फ एक उम्मीदवार उतारा है, यानी साफ है कि वो बचे हुए वोट से जीडीएस को समर्थन करेंगे..इसीलिए मैंने हां की.'

कर्नाटक में येदियुरप्पा ने भले ही अपनी जिद पर सरकार बनाई और फिर अपने बूते पर विधायकों को जीतकर जादूई आंकड़े से काफी आगे निकल गए, लेकिन ढलती उम्र की वजह से येदिुरप्पा में वो तेवर अब नहीं दिख रहे जिसके लिए वो जाने जाते है. ऐसे में विरोधी गुट सेंधमारी करता रहता है.
 

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