प्रतीकात्मक फोटो
जयपुर:
कहते हैं न कि नियति ही निर्धारित करती है कि किसी व्यक्ति को उसके जीवन में क्या मिलेगा और क्या नहीं. कोई कितना भी किसी को नीचा दिखा ले, लेकिन उसका भाग्य उससे नहीं छीना जा सकता. ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजस्थान से, जहां सिर पर मैला ढ़ोने वाली दो बहनों की शादी बड़े धूमधाम से दो पढ़े-लिखे युवकों से हुई. राजस्थान के टोंक जिले से यह खबर आई है. बताया जा रहा है कि दोनों दुल्हनें पूर्व में सिर पर मैला ढोती थीं, लेकिन स्वयं सेवी संस्थान सुलभ इंटरनेशनल ने 2008 में दोनों का पुर्नवास किया. जयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूर टोंक में बैरवा धर्मशाला में दोनों का विवाह मंगलवार को धूमधाम के साथ हुआ.
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सुलभ इंटरनेशनल की मदद के बाद दोनों बहनों ने मैला ढोने के काम बंद कर दिया और सुलभ व्यावसायिक केन्द्र में एक पाठयक्रम में भाग लिया और व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ ही पढाई भी की. एक बहन ने स्नातक और दूसरी ने 10 वीं की पढाई की. विवाह के बारे में एक बहन ने कहा कि उन्होंने ऐसी शादी का कभी सपना नहीं देखा क्योंकि उन्हें अक्सर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा था. दोनों दूल्हे एक ही जिले के रहने वाले हैं और पढे लिखे हैं. एक दूल्हा कैमरा मैन है जबकि दूसरा दूल्हा तकनीशियन है. विवाह में सभी तरह के रस्म रिवाज निभाये गये और विवाह धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ.
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विवाह में भाग लेने के बाद सुलभ आंदोलन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि संस्था ने पिछले पांच दशकों में दस लाख मैला ढोने वाले लोगों का पुनर्वास किया है.
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विवाह में भाग लेने के बाद सुलभ आंदोलन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि संस्था ने पिछले पांच दशकों में दस लाख मैला ढोने वाले लोगों का पुनर्वास किया है.
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