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बाप के 30 साल के ड्रग्स रैकेट को चला रहा था नाबालिग, पाकिस्तान से पंजाब तक फैलाया जाल

पिता तीन दशक से ज्यादा समय से पाकिस्तान से आने वाली हेरोइन को ठिकाने लगाने का काम करता था. बचपन से पिता को ड्रग्स बिजनेस चलाते देखकर बेटा उससे भी ज्यादा शातिर हो गया.

बाप के 30 साल के ड्रग्स रैकेट को चला रहा था नाबालिग, पाकिस्तान से पंजाब तक फैलाया जाल
  • राजस्थान एटीएस ने पाकिस्तान से हेरोइन तस्करी का रैकेट चलाने वाले नाबालिग को पकड़ा है
  • पिता तीन दशक से ज्यादा समय से पाकिस्तान से आने वाली हेरोइन को ठिकाने लगाता था
  • लड़के ने बचपन से पिता को तस्करी करते देखा था. पिता जेल गया तो बेटे ने धंधा संभाल लिया
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आपके कपड़े तैयार हैं, आकर ले जाओ और सिलाई के पैसे दे जाओ... ये सुनकर शायद पहली नजर में लगेगा कि ये किसी दर्जी और ग्राहक के बीच की बातचीत होगी. लेकिन पाकिस्तान से आने वाली ड्रग्स को राजस्थान में रिसीव करने का कोडवर्ड था. इसी तरह के कोडवर्ड का इस्तेमाल करके एक नाबालिग पिछले तीन साल से अपने पिता के तीन दशक पुराने ड्रग्स के धंधे को चला रहा था. लेकिन कानून के लंबे हाथों ने आखिरकार उसे धर दबोचा. 

छोटी उम्र, बड़े कारनामे. कारनामे भी ऐसे कि बड़े-बड़े दांतों तले उंगली दबा लें. राजस्थान पुलिस की एटीएस और नारकोटिक्स टीम ने हेरोइन ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश किया तो असली सच्चाई खुली. भारत-पाकिस्तान सीमा से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है सातलिया गांव. यह बाड़मेर जिले में गडरा रोड में पड़ता है. यहां रहने वाला पिता तीन साल पहले ड्रग्स तस्करी के मामले में जेल गया तो नाबालिग बेटे ने कमान संभाल ली. बेटा ही अब नशे का पूरा नेटवर्क हैंडल कर रहा था. 

पिता तीन दशक से ज्यादा समय से पाकिस्तान से आने वाली हेरोइन को ठिकाने लगाने का काम करता था. बचपन से पिता को ड्रग्स बिजनेस चलाते देखकर बेटा उससे भी ज्यादा शातिर हो गया. पुलिस का कहना है कि नाबालिग बेहद चालाक और शातिर प्रवृत्ति का है. उसने ड्रग्स के कारोबार को पंजाब, जैसलमेर, बीकानेर और दिल्ली तक फैलाया. 

पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान सरहद के पार से पैकेट में हेरोइन रखकर इस पार फेंकी जाती थी. पिता-पुत्र वहां से नशे की खेप लेकर आते थे. कभी ऊंट चराने के नाम पर तो कभी बहन-बुआ से मिलने के बहाने से जाते और पैकेट ले आते, जिसकी शादी पाकिस्तान में हुई थी. 

पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान से VOIP (इंटरनेट) के जरिए कॉल आती थी. कोडवर्ड में बातें होती थीं ताकि सुरक्षा एजेंसियों की नजर में न आएं. नशे के बड़े तस्कर जो गडरा रोड के इस गांव से हेरोइन लेकर जाते थे, लड़का उन्हें मौसा और मां कहकर पुकारता था ताकि किसी को शक न हो. पैकेट रखने के एक लाख रुपये मिलते थे. 

पाकिस्तान से गडरा रोड के एक नंबर पर जब लगातार कॉल्स आईं तो एटीएस के कान खड़े हुए. जांच की गई तो नंबर नाबालिग का निकला. पुलिस ने झुंझुनूं में उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फुर्र हो गया. कभी सीकर तो कभी जैसलमेर के नंबर बदलकर दिल्ली के इंडस्ट्रियल एरिया में छिपता रहा. आखिरकार ANTF-ATS की जॉइंट टीम ने नीमराना में चाय की दुकान पर नाबालिग को धर दबोचा. इसके बाद पूरी कहानी सामने आई. 

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