भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के पहले पूर्ण रेल बजट पर हमला बोलते हुए विपक्ष ने गुरुवार को इसमें दृष्टि का अभाव बताया और सवाल किया कि ‘‘इतने अच्छे विचारों को सरकार लागू कैसे करेगी?’’
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें ठोस कुछ नहीं है और खाली ‘‘सपने दिखाए गए हैं।’’ दोनों ही पूर्व रेल मंत्री रहे हैं।
खड़गे ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बढ़िया लच्छेदार बजट भाषण है। लेकिन कोई नजरिया पेश नहीं किया गया है कि रेल मंत्री कैसे इन लक्ष्यों को हासिल करेंगे। मंत्री ने कहा है कि वह पीपीपी माडल, बीओटी समझौते आदि अपनाएंगे। यदि आप दूसरों पर निर्भर हैं तो इस बात की कम की संभावना है कि आप अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाएं।’’
उधर, कई बार पार्टी लाइन से हटकर राजग सरकार की तारीफ करने वाले त्रिवेदी ने भी रेल बजट पर निराशा जतायी और कहा कि उन्होंने लोगों के लिए सपने बुने हैं लेकिन कैसे उन्हें कैसे साकार करेंगे, यह स्पष्ट नहीं है उन्होंने कहा, ‘‘यह कुछ ऐसा कहने जैसा है कि मैं चांद पर जाऊंगा। यह एक विचार है, एक सपना लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि आप वहां तक पहुंचेंगे कैसे? ये सब भविष्य की बात की गयी है लेकिन आपकी मौजूदा माली हालत में तो 50 फीसदी की गिरावट है। इस अंतर को कैसे पाटेंगे।’’
त्रिवेदी ने कहा, ‘‘मैं देख रहा हूं कि रेलवे एयर इंडिया के रास्ते पर जा रही है। इसका खजाना खाली है।’’
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने रेल बजट की सराहना करते हुए कहा कि इसमें नई रेलगाड़ियों की घोषणा जैसे लोकलुभावन उपायों से बचा गया है और रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने पिछले बजट में शुरू की गई परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान देकर अच्छा कदम उठाया है। मुलायम ने कहा, ‘‘बढ़िया काम हुआ है। प्रभु ने नई योजनाओं का ऐलान नहीं किया और पिछले उपायों को अमली जामा पहनाने पर जोर देने की बात कही। अगर वह ऐसा करने में सफल रहते हैं तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।’’
सत्तारूढ़ राजग के सहयोगी दल शिवसेना ने रेल बजट से ‘‘पूरी तरह असंतोष’’ जताते हुए कहा कि इसमें स्पष्टता का अभाव और यह नहीं बताया गया है कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन कहां से आएगा।।
वरिष्ठ शिवसेना नेता और उत्तर पश्चिम मुंबई से सांसद गजानन कीर्तिकर ने कहा, ‘‘हम बजट से पूरी तरह असंतुष्ट हैं। उन्होंने बजट में बहुत सी बातें कही हैं। लेकिन कहां से आएगा पैसा?’’ उन्होंने इसके साथ ही कहा कि बजट ने हर किसी को ‘‘अंधकार’’ में रखा है।
कीर्तिकर ने कहा, ‘‘रेलमंत्री प्लेटफार्मों की ऊंचाई बढ़ाने की बात कर रहे हैं जिसके लिए 97 करोड़ रुपये की जरूरत है। यदि इन्हें पूरा करना है तो एक ही बार में इन परियोजनाओं के लिए धन आवंटित करना होगा। वे लाइनों के दोहरीकरण और तिहरीकरण की बात कर रहे हैं लेकिन वे किन लाइनों पर काम करेंगे? उन्होंने हमें अंधेरे में रखा है।’’
शिवसेना के ही एक अन्य वरिष्ठ नेता चंद्रकांत खरे ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘बजट अच्छा है लेकिन समझने में मुश्किल है।’’
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने रेल बजट पर विपक्ष की इन आलोचनाओं को खारिज किया कि इसमें कोई तत्व की बात नहीं है। उन्होंने इसे ‘‘वास्तविक और तथ्यात्मक’’ बताते हुए कहा कि राजग सरकार ने पूर्व की सरकारों के कार्यकाल के अधूरे वादों को पूरा करने की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है। किसी नई ट्रेन की घोषणा नहीं किए जाने की विपक्ष की आलोचना पर नायडू ने सवाल किया कि अतीत में घोषित की गई कितनीं नई ट्रेनों और नई रेल लाइनों के वादों को पूरा किया गया है? उन्होंने कहा कि यह बजट निश्चित रूप से रेल यात्रियों के लिए ‘‘गति, सुरक्षा, संरक्षा और संतोष को सुनिश्चित करने वाला है।’’
खरे ने कहा, ‘‘लोग हमसे पूछेंगे कि क्षेत्र को बजट से क्या मिला? अब बजट पढ़ना पड़ेगा और उसके बाद ही कुछ बताया जाएगा।’’ बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता तथागत सतपथी ने भी रेल बजट की आलोचना करते हुए इसे खोखला और निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि वह इस बजट को दस में से सिर्फ दो नंबर देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह खोखला है। प्रभु ने एक विचार रखा लेकिन उसमें कुछ तत्व की बात नहीं है।’’
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