कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि राहुल गांधी को जब बताया गया कि असम में कभी कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हिमंता बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) को बहुसंख्यक विधायकों का समर्थन हासिल है और वह बगावत करने के साथ ही पार्टी छोड़ने जा रहे हैं तो कांग्रेस नेता का दो टूक जवाब था कि ‘‘जाने दीजिए उन्हें .''अगस्त 2022 में पार्टी छोड़ने वाले और कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे आजाद ने अपनी आत्मकथा ‘‘आजाद'' में हिमंता बिस्ब सरमा और कुछ अन्य प्रकरणों पर प्रकाश डाला है.
सरमा कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे
उनका कहना है कि राहुल गांधी ने हिमंत के मामले को सही ढंग से नहीं संभाला और सोनिया गांधी ने भी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया जबकि उनको इसका आभास था कि सरमा के पार्टी से चले जाने से क्या नुकसान होने वाला है. बता दें, सरमा कांग्रेस छोड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और फिलहाल वह असम के मुख्यमंत्री हैं. सितंबर, 2015 में जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो उनके साथ 10 विधायक भी चले गए. गुलाम नबी आजाद ने आत्मकथा में कहा, ‘‘राहुल ने सीधे-सीधे यह कह दिया था कि असम में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा. हमने उनसे कहा कि हिमंता के पास बहुसंख्यक विधायकों का समर्थन है और वह पार्टी छोड़ देंगे तो राहुल ने कहा कि उनको जाने दीजिए.''
सोनिया बोलीं-हिमंत से कहो समस्या पैदा न करें.
गुलाम नबी के मुताबिक, उन्हें यह नहीं पता कि राहुल ने यह खुद को मजबूत दिखाने के लिए किया था या फिर वह इस बात से अनभिज्ञ थे कि हिमंता के जाने का असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर में दूरगामी असर होगा.''आजाद ने किताब में लिखा है, ‘‘मैंने इस बारे में सोनिया गांधी को सूचित किया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने हस्तपेक्ष नहीं किया . इसके बजाय सोनिया गांधी ने मुझसे कहा कि हिमंत से कहो कि समस्या पैदा न करें.''
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