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This Article is From Nov 21, 2019

रघुबर दास: झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री क्या कर पाएंगे वापसी...?

वैश्य समुदाय से आने वाले रघुबर दास ने 28 दिसंबर, 2014 को राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.

रघुबर दास:  झारखंड के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री क्या कर पाएंगे वापसी...?
झारखंड के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री रघुबर दास
नई दिल्ली:

झारखंड में विधानसभा चुनाव 5 चरणों में आयोजित किए जा रहे हैं. राज्य के मुख्यमंत्री रघुबर दास जमशेदपुर पूर्व सीट से चुनावी अखाड़े में है, जहां उनका मुकाबला अपने ही कैबिनेट के सहयोगी रह चुके सरयू राय से होना है. वैश्य समुदाय से आने वाले रघुबर दास ने 28 दिसंबर, 2014 को राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. झारखंड में इससे पूर्व बने सभी पांच मुख्यमंत्री आदिवासी समुदाय से थे. आपको बता दें कि चुनाव बाद छह JVM विधायकों के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद रघुबर दास ने झारखंड में पहली पूर्ण बहुमत वाली पार्टी के नेता के रूप में कमान संभाली थी.

64-वर्षीय रघुबर दास ने जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी तक की पढ़ाई की है. रघुबर दास ने जमशेदपुर स्थित टाटा स्टील कंपनी में एक कर्मचारी के रूप में कई साल तक काम किया था. आपातकाल के समय रघुबर दास जेपी आंदोलन से जुड़े और बाद में जनता पार्टी में शामिल हो गए. आपातकाल में उन्हें जेल भी जाना पड़ा और उन्हें अविभाजित बिहार के गया जेल में कुछ समय रहना पड़ा. 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद रघुबर दास BJP में शामिल हो गए और मुंबई में पहले सम्मेलन में हिस्सा लिया. वर्ष 1986 में टाटा स्टील कंपनी के विरोध में उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया और टाटा स्टील के अधीन आने वाली 86 बस्तियों को उनके प्रयास से राज्य सरकार के अधीन में लाया गया.

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वर्ष 1995 में पहली बार रघुबर दास ने जमशेदपुर पूर्व सीट पर जीत दर्ज की थी, जिसके बाद से लगातार पांच चुनावों से वह इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं. इस सीट पर रघुबर दास ने 2014 में कांग्रेस के प्रत्याशी को लगभग 70,000 मतों से हराया था, जबकि 2009 में उन्होंने JVM प्रत्याशी अभय सिंह को मात दी थी. वर्ष 2004 में उन्हें झारखंड प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. 2005 में रघुबर दास को पहली बार राज्य मंत्रिमंडल मे नगर विकास मंत्री के रूप में जगह मिली थी. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव के बाद BJP और JMM की शिबू सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद मिला था. लेकिन छह महीने में ही BJP के सरकार से अलग हो जाने के कारण उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था. 2014 में रघुबर दास को भारतीय जनता पार्टी का राष्टीय उपाध्यक्ष बनाया गया था. बाद में इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया.

इस विधानसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी झारखंड में बिना किसी गठबंधन के चुनाव में उतर रही है. बीजेपी का अपने सहयोगी दल आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन या AJSU) से गठबंधन टूट गया है. रघुबर दास के ऊपर गैर झारखंडी होने का भी आरोप लगता रहा है. उनके अपने विधानसभा क्षेत्र जमशेदपुर पूर्व से उनके सहयोगी रह चुके सरयू राय उन्हें चुनौती दे रहे हैं और उन्होंने 86 बस्तियों को अधिकार और सुविधा देने के मुद्दे पर ही रघुवर दास को मैदान में पटखनी देने की तैयारी की है. हालांकि पार्टी नेतृत्व ने रघुबर दास के ऊपर भरोसा जताते हुए राज्य में टिकट बंटवारे से लेकर हर मुद्दे पर उन्हें अहमियत दी है.

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